एविएशन सेक्टर की हालत खराब, हुआ 6,845 करोड़ रुपये का घाटा
नयी दिल्ली। एविएशन सेक्टर की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर हालत में पहुँच गयी है। बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एविएशन या विमानन सेक्टर को चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में जोरदार घाटा हुआ है। 2019-20 की अप्रैल-नवंबर अवधि में एविएशन सेक्टर का ऑपरेटिंग घाटा 6,845.78 करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2014-15 के बाद से सबसे अधिक है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें आर्थिक सुस्ती और ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी शामिल है। विमानन सेक्टर पर नजर रखने वाले जानकार बताते हैं कि 2019-20 के बचे हुए महीनों में भी इस सेक्टर की हालत ऐसी ही रह सकती है। अप्रैल-नवंबर के दौरान प्राइवेट विमानन कंपनियाँ 2,311.79 करोड़ रुपये के घाटे में रहीं, जबकि सरकारी विमानन कंपनियों को उनकी सब्सिडरी कंपनियों सहित 4,533.9 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। प्रमुख तीन सरकारी विमानन कंपनियों में से केवल एक ही मुनाफे में रही।
कैसा रहा सरकारी कंपनियों का प्रदर्शन
अप्रैल-नवंबर के दौरान एयर इंडिया 4,685 करोड़ रुपये के घाटे में रही, जबकि पूरे 2018-19 में कंपनी 1,658 करोड़ रुपये के घाटे में रही थी। वहीं एयर इंडिया की सब्सिडरी अलायंस एयर, जो मुख्य तौर पर UDAN रूटों पर उड़ान भरती है, को 308 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इसे वित्त वर्ष 2018-19 में 134 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। ये आँकड़े नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने पेश किये हैं। तीनों सरकारी विमानन कंपनियों में केवल एयर इंडिया एक्सप्रेस ही मुनाफे में रही, 8 महीनों की अवधि में एयर इंडिया एक्सप्रेस को 459 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग मुनाफा हुआ।
प्राइवेट कंपनियों की हालत
प्राइवेट विमानन कंपनियों की वित्तीय स्थिति की बात करें तो टाटा एसआईए एयरलाइंस (विस्तारा) को 900 करोड़ का घाटा हुआ। कंपनी की ऑपरेटिंग आमदनी 2,994.38 करोड़ रुपये और कुल खर्च 3,894.85 करोड़ रुपये के रहे। वहीं एयर एशिया इंडिया इस दौरान 703 करोड़ रुपये के घाटे में रही, जबकि स्पाइसजेट ने 266 करोड़ रुपये का नुकसान उठाया। वित्त वर्ष 2018-19 में स्पाइसजेट को 521 करोड़ का मुनाफा हुआ था। इंडिगो ने 490 करोड़ के घाटे की जानकारी दी।
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