Atal Pension Yojana : सरकार से लीजिए हर महीने 5,000 रु, जानिए किसे मिल सकते हैं
Atal Pension Yojana : अटल पेंशन योजना (एपीवाई) पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) चलाती है। ये एक सरकारी पेंशन योजना है। सरकार ने 2015-16 के बजट में इस पेंशन योजना की शुरुआत की थी। इसे असंगठित क्षेत्र के लोगों की उम्र बढ़ने के साथ आय में स्थिरता लाने के लिए शुरू किया गया था। बता दें कि 18 से 40 वर्ष के बीच का कोई भी भारतीय नागरिक, जिसके पास बैंक खाता है और वो असंगठित क्षेत्र में काम करता है, वो एपीवाई में निवेश कर सकता है और पेंशन ले सकता है। इस पेंशन योजना को पीएफआरडीए द्वारा राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) आर्टिटेक्चर के माध्यम से मैनेज किया जाता है।
1,000 रुपये से 5,000 रुपये तक की पेंशन
यह योजना लोगों को न्यूनतम 1,000 रुपये से अधिकतम 5,000 रुपये तक की मासिक पेंशन दिलाती है, वो भी गारंटी के साथ। एपीवाई के तहत, ग्राहकों को 1000 रुपये प्रति माह, 2000 रुपये प्रति माह, 3000 रुपये प्रति माह, 4000 रुपये प्रति और 5000 रु प्रति माह की न्यूनतम न्यूनतम पेंशन प्राप्त होगी। ये पेंशन 60 वर्ष की आयु के बाद मिलती है। पेंशन राशि उनके योगदान और योजना में शामिल के समय उनकी आयु के आधार पर तय होगी।
कौन हो सकता है योजना में शामिल
एपीवाई में शामिल होने की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 40 वर्ष है। वहीं योजना से बाहर निकलने और पेंशन शुरू होने की उम्र 60 साल होगी। इसलिए, एपीवाई के तहत ग्राहक द्वारा योगदान की न्यूनतम अवधि 20 वर्ष या उससे अधिक होगी। निश्चित न्यूनतम पेंशन के लाभ की गारंटी सरकार देती है।
ऐसे मिलेंगे हर महीने 5000 रु
एपीवाई खाते में मासिक योगदान निवेशक की मासिक पेंशन पसंद और खाता खोलने के समय ग्राहक की उम्र से निर्धारित होता है। पीएफआरडीए का एक एपीवाई चार्ट मासिक योगदान की व्याख्या करता है जो किसी ग्राहक द्वारा किया जाना चाहिए। चार्ट के मुताबिक, अगर 18 साल का निवेशक रिटायरमेंट के बाद 5,000 रुपये की मासिक वार्षिकी चुनता है, तो उसे हर महीने 210 रुपये जमा करने होंगे।
हो गया बदलाव
सरकार ने कुछ समय पहले ऐलान किया था कि 1 अक्टूबर के बाद इनकट टैक्स देने वाले व्यक्ति अटल पेंशन योजना में निवेश करने के लिए पात्र नहीं माने जाएंगे। सरकरा ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इसकी सूचना दे दी थी। सरकार इस योजना का लाभ केवल छोटे व्यापारियों और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों तक सीमित रखना चाहती है। इसीलिए यह कदम उठाया गया।