Reliance Capital : अनिल अंबानी की कंपनी को मिला नया मालिक, जानिए नीलामी में किसके हाथ आई
Reliance Capital Auction : आखिरकार अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल को नया मालिक मिल गया है। बुधवार को हुई ई-नीलामी में रिलायंस कैपिटल के लिए बिड लगाई गयीं। इनमें टोरेंट ग्रुप ने 8,640 करोड़ रुपये की बोली लगाई, जो कि प्रोसेस में सबसे ऊंची बोली रही। ये पहले नंबर पर आई। इसके बाद दूसरा नंबर रहा हिंदुजा ग्रुप का। वहीं ओकट्री और कोस्मी-पिरामल के कंसोर्टियम ने ई-नीलामी में भाग नहीं लिया। आगे जानिए बाकी डिटेल।
Success Story : साइंटिस्ट ने लॉन्च किया ऑर्गेनिक ब्रांड, मासिक कमाई है लाखों में
अभी नहीं हुआ मालिक का फैसला
हालांकि अभी कहा जा रहा है कि सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के रूप में उभरने के बावजूद टोरेंट ग्रुप अभी भी रिलायंस कैपिटल की एसेट्स का अधिग्रहण नहीं कर सकता है। हिंदुजा और टोरेंट में काफी करीबी मुकाबला है। रेजोल्यूशन प्लान का एनपीवी (नेट प्रेजेंट वैल्यू) विजेता का फैसला करेगा। सीओसी (लेनदारों की समिति) अभी बैठक करेगी और टोरेंट और हिंदुजा दोनों की सॉल्यूशंस प्लान्स पर विचार करेगी। यानी कहा जा सकता है कि इन दोनों में से ही कोई ग्रुप अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल का नया मालिक होगा।
कैसे होता है भुगतान
पूरी बोली राशि का अपफ्रंट भुगतान नहीं किया जाता है और ये पैसा किश्तों में आता है। इसलिए, सीओसी फ्यूचर पेमेंट्स के शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) पर पहुंचने के बाद सफल बोली लगाने वाले का फैसला करेगी। कॉस्मी और पिरामल ग्रुप के कंसोर्टियम ने प्रोसेस के फॉर्मेट में महत्वपूर्ण बदलावों का हवाला देते हुए बिड प्रोसेस से हाथ खींच लिया।
कितना था बेस प्राइस
रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं ने पिछले सप्ताह बुधवार (21 दिसंबर, 2022) को होने वाली ई-नीलामी के लिए बेस प्राइस (जो पहले 5,231 करोड़ रुपये तय किया गया था) बढ़ा कर 6,500 करोड़ रुपये कर दिया था। एक यह भी आशंका थी कि सीओसी ने ई-नीलामी डेट के विस्तार की मांग को खारिज कर दिया था, जिसके बाद ओकट्री ई-नीलामी में भाग नहीं लेगी।
कुल चार बोलियां लगीं
रिलायंस कैपिटल को 28 नवंबर को चार बोलियां मिली थीं, जो बोली जमा करने की आखिरी तारीख थी। कॉस्मी फाइनेंशियल और पिरामल के कंसोर्टियम द्वारा 5,231 करोड़ रुपये की उच्चतम बोली पेश की गई है। इस बोली प्रोससे में हिंदुजा ग्रुप दूसरे नंबर पर रहा। ओकट्री और कॉस्मी-पिरामल के कंसोर्टियम ने ई-नीलामी में भाग नहीं लिया। हालांकि अनुमान है कि सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के रूप में उभरने के बावजूद, टोरेंट ग्रुप अभी रिलायंस कैपिटल की संपत्ति का अधिग्रहण नहीं कर पाएगा। उसकी प्रोसेस वही होगी, जिसका जिक्र हमने ऊपर किया।
क्यों हुई हालत खराब
कर्ज में डूबी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल का दिवालिया हाल कैसे हुआ इसको लेकर कुछ समय पहले एक रिपोर्ट सामने आई थी। रिपोर्ट में बताया गया कि रिलायंस कैपिटल अपने समूह की अलग-अलग इकाइयों को वित्त वर्ष 2019-20 में बेताहाशा लोन बांटा। इसी कर्ज को बांटने के कारण से रिलायंस कैपिटल पर 1,755 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय बोझ बन गया। रिलायंस कैपिटल के प्रशासक को सौंपी गयी लेनदेन ऑडिटर की रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत नियुक्त रिलायंस कैपिटल के लेनदेन की की जांच की जा रही थी। इसी जांच में लोन बांटने की बात सामने आई थी।