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Anil Ambani के चल रहे बुरे दिन, एक और कंपनी बिकी, मिला नया मालिक

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Anil Ambani की एक और कंपनी बिकी, मिला नया मालिक

Reliance Naval Sold : अनिल अंबानी के बुरे दिन चल रहे हैं। उनकी एक के बाद एक कंपनी बिकती जा रही है। ताजा मामले में उनकी रिलायंस नेवल डिफेंस एंड इंजीनियरिंग को नया खरीदार मिल गया। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की अहमदाबाद विशेष पीठ ने रिलायंस नेवल डिफेंस एंड इंजीनियरिंग के लिए स्वान एनर्जी के नेतृत्व वाले हेज़ल मर्केंटाइल कंसोर्टियम प्लान को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही रिलायंस नेवल की बिक्री होना तय हो गया।

 

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जिंदल स्टील की अपील खारिज

जिंदल स्टील की अपील खारिज

जिंदल स्टील एंड पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की तरफ से दायर की गयी अपीलों को एनसीएलटी ने खारिज कर दिया है। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि रिलायंस नेवल के लिए हेज़ल मर्केंटाइल के सॉल्यूशन प्लान को एनसीएलटी ने हरी झंडी दिखा दी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस साल की शुरुआत में, स्वान एनर्जी को रिलायंस नेवल शिपयार्ड के लिए विजेता बोलीदाता (विनिंग बिडर) के रूप में आशय पत्र (एलओआई) जारी किया गया था।

हेज़ल मर्केंटाइल कंसोर्टियम का रिज़ॉल्यूशन प्लान
यह अनिल अंबानी की दिवालिया रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड, जिसे पहले पिपावाव शिपयार्ड के नाम से जाना जाता था, के रेजॉल्यूश की दिशा में एक और कदम है। हेज़ल मर्केंटाइल कंसोर्टियम के रेज़ॉल्यूशन प्लान के पक्ष में पहले ही रिलायंस नेवल के लगभग 95 प्रतिशत ऋणदाताओं ने मतदान किया था। उसके साथ ही इसकी योजना को करीब-करीब मंजूरी मिल गयी थी।

किस-किस का है कर्ज
 

किस-किस का है कर्ज

लेटेस्ट डेवलपमेंट रिलायंस नेवल के सॉल्यूशन प्रोसेस में एक कदम है, जो 26 महीने पहले भारतीय स्टेट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के 12,429 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली के लिए शुरू हुई थी। भारतीय स्टेट बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के अलावा रिलायंस नेवल पर और भी लोगों का कर्ज है।

रिलायंस कैपिटल भी बिकने को तैयार

रिलायंस कैपिटल भी बिकने को तैयार

बीते बुधवार को हुई ई-नीलामी में अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल के लिए बिड लगाई गयीं। इनमें टोरेंट ग्रुप ने 8,640 करोड़ रुपये की बोली लगाई, जो कि प्रोसेस में सबसे ऊंची बोली रही। ये पहले नंबर पर आई। इसके बाद दूसरा नंबर रहा हिंदुजा ग्रुप का। वहीं ओकट्री और कोस्मी-पिरामल के कंसोर्टियम ने ई-नीलामी में भाग नहीं लिया। हालांकि अभी कहा जा रहा है कि सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के रूप में उभरने के बावजूद टोरेंट ग्रुप अभी भी रिलायंस कैपिटल की एसेट्स का अधिग्रहण नहीं कर सकता है। हिंदुजा और टोरेंट में काफी करीबी मुकाबला है। रेजोल्यूशन प्लान का एनपीवी (नेट प्रेजेंट वैल्यू) विजेता का फैसला करेगा। सीओसी (लेनदारों की समिति) अभी बैठक करेगी और टोरेंट और हिंदुजा दोनों की सॉल्यूशंस प्लान्स पर विचार करेगी। यानी कहा जा सकता है कि इन दोनों में से ही कोई ग्रुप अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल का नया मालिक होगा।

इतना था बेस प्राइस

इतना था बेस प्राइस

रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं ने पिछले सप्ताह बुधवार (21 दिसंबर, 2022) को होने वाली ई-नीलामी के लिए बेस प्राइस (जो पहले 5,231 करोड़ रुपये तय किया गया था) बढ़ा कर 6,500 करोड़ रुपये कर दिया था। एक यह भी आशंका थी कि सीओसी ने ई-नीलामी डेट के विस्तार की मांग को खारिज कर दिया था, जिसके बाद ओकट्री ई-नीलामी में भाग नहीं लेगी।

English summary

Anil Ambani bad days reliance naval sold new owner found

This is another step towards the resolution of Anil Ambani's bankrupt Reliance Naval and Engineering Limited, formerly known as Pipavav Shipyard.
Story first published: Sunday, December 25, 2022, 12:59 [IST]
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