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Amul : कभी अंग्रेजों ने अड़ाई थी टांग, मगर शुरू हुई और ऊंचाइयों पर पहुंची ये कंपनी

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नई दिल्ली, अगस्त 18। आज से लगभग 76 साल पहले की बात है, भारत के आजादी के लिए चल रहे आंदोलन का अंतिम दौर था। पूरा देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था लेकिन गुजरात के कैरा जिला के किसान आजादी के समस्या के साथ-साथ एक बड़ी समस्या से जूझ रहे थे। यहां के किसान दूध बेचने के बदले उचित मूल्य न मिलने की समस्या से परेशान थे। चूकि किसानों के पास दूध को लंबे सयम तक रखने का प्रबंध नहीं था इसलिए बिचौलियें उनका दूध कम दाम पर खरीद कर मोटा पैसा बना रहे थे। एक समय ऐसा भी आया कि किसान अपनी समस्या को लेकर एकजूट होने लगे। किसानों की ईस एकजुटता को सरदार बल्लभ भाई पटेल ने चिंगारी दी थी। किसानों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया जिसके परिणास्वरूप दूध बेचने के लिए एक कॉपरेटिव सोसाइटी की नींव पड़ी। कॉपरेटिव का नाम पड़ा कैरा जिला कॉपरेटिव दूध उत्पादक संगठन, आज इस सोसाइटी को अमूल के नाम से जाना जाता है।

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किसानो को सरदार पटेल ने समझाया था

किसानो को सरदार पटेल ने समझाया था

सरदार पटेल ने किसानों को समझाया कि उन्हें ब्रिटिश सरकार से कॉपरेटिव बनाने की अनुमति मांगनी चाहिए। अगर अंग्रेजी हुकूमत कॉपरेटिव सोसाइटी बनाने की अनुमति नहीं देती है तो किसानों को ठेकेदारों को दूध देना बंद कर देना चाहिए।

कॉपरेटिव का हुआ था गठन

कॉपरेटिव का हुआ था गठन

किसानों की हड़ताल के चलते जब हालात बिगड़े, तो बॉम्बे के मिल्क कमिश्नर को कैरा पहुंचना पड़ा, दूध की कमी को देखते हुए कमिश्नर ने किसानों की बात मान ली। जिसके शुरुआत हुई कैरा जिला कॉपरेटिव दूध उत्पादक संगठन की। 14 दिसंबर 1946 को कॉपरेटिव को आधिकारिक रूप से रजिस्टर कराया गया। 1948 से कैरा जिला कॉपरेटिव दूध उत्पादक संगठन ने बॉम्बे के दूध व्यापारियों को दूध की सप्लाई शुरू कर दी। शुरूआती समय में केवल दो गांव के कुछ किसान हर दिन 250 लीटर दूध इकट्ठा करते थे। बॉम्बे में बॉम्बे मिल्क मार्केट के होने से किसानों को दूध को बेचने की दिक्कत नहीं हुई।

कैसे पड़ा अमूल नाम

कैसे पड़ा अमूल नाम

साल 1948 तक कैरा दूध कॉपरेटिव से 400 से अधिक गांवों के किसान कॉपरेटिव सोसाइटी से जुड़ चुके थे। लेकिन किसानों की बढ़ती संख्या को कॉपरेटिव संध संभाल नहीं पा रहा था। दूध भी अधिक जमा होने लगा और बॉम्बे के दूग्ध मार्केट में दूध की खपत की क्षमता बहुत सीमित थी। कई बार दूध खराब होने का खतारा बना रहता था।

डॉ वर्गीज ने रखा था नाम

डॉ वर्गीज एक पढ़े लिखे व्यक्ति थे। उन्होंने मेकेनिकल इंजिनियरिंग में मास्टर की डिग्री हासिल की थी। कॉपरेटिव से जुड़ने के बाद उन्होंने ही कैरा दूध कॉरेटिव का नाम अमूल रखा था। दूध की मात्रा बढ़ने के बाद अमूल ने सबसे पहले मिल्क पाउडर का प्लांट लगाया। धिरे धिरे अमूल बढ़ता गया और आज इसके प्रोडक्ट विश्व के तमाम देशों में बिक रहे हैं। आज देश के 28 राज्यों के 222 जिलों में अमूल का नेटर्वक फैला है. अमूल के पास आज 10,000 डीलरों और 10 लाख खुदरा विक्रेताओं का तैयार नेटवर्क है।

English summary

Amul Once the British had hindered the leg but this company started and reached the heights

Dr. Varghese was an educated person. He had a master's degree in mechanical engineering. After joining the cooperative, it was he who named Kaira Doodh Cooperative as Amul.
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