गजब का आइडिया : झारखंड की महिलाओं ने कर दिया कमाल, सब्जियों से कमाए 2.5 करोड़ रु
नई दिल्ली, जनवरी 29। किसानों की सहायता के लिए झारखंड के हजारीबाग में चुरचू नारी ऊर्जा किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड की स्थापना की गई थी। इस कंपनी का निदेशक मंडल पूरी तरह से महिलाओं से बना है। यानी इस कंपनी को महिलाएं ही संभाल रही हैं। महिलाएं ही कंपनी की प्रेसिडेंट और वाइस-प्रेसिडेंट हैं। इन महिलाओं ने बाहरी इलाके की महिलाओं को एक कंपनी बनाने के लिए एक साथ मिलाया और उन्हें बाजार में अपनी उपज बेचने के लिए प्रेरित किया। अब ये कंपनी करोड़ों की हो गयी है।
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कितनी हुई कमाई
कंपनी के पास अब 2500 से अधिक शेयरधारक और 7000 से अधिक महिला किसान हैं, जिनकी शेयर पूंजी 18 लाख रुपये है। महिला फर्म ने एक साल में ढाई करोड़ रुपये की सब्जी की खेती की। कंपनी देश की सबसे बड़ी सब्जी ट्रेडर है। झारखंड की एकमात्र महिला संचालित एफपीओ, चुरचु में हजारीबाग के सबसे चरमपंथी क्षेत्र के पास से ऑपरेट करती है। चुरचू नारी ऊर्जा किसान निर्माता कंपनी की स्थापना 6 जून, 2018 को हुई थी।
कंपनी को मिला अवॉर्ड
17 दिसंबर को, कंपनी ने देश भर में अपने असाधारण प्रदर्शन के लिए दिल्ली में लाइवलीहुड समिट एफपीओ इम्पैक्ट अवार्ड 2021 हासिल किया। इस कार्यक्रम की सह-मेजबानी रोबो बैंक, नाबार्ड और नीति आयोग द्वारा की गई थी। इस आयोजन में देश भर से 450 छोटे और बड़े एफपीओ ने हिस्सा लिया। कंपनी की चेयरपर्सन सुमित्रा देवी छोटी कैटेगरी में पहला स्थान पाकर खुश हुईं।
हजारों महिलाओं को रोजगार
सुमित्रा देवी का कहना है कि यह उनका प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि 7000 महिला किसानों की कड़ी मेहनत का नतीजा है, जो आज पूरे देश में देखा जा सकता है। समूह के लोग महिलाओं को एकजुट करना चाहते हैं ताकि वे कृषि में काम कर सकें। मैट्रिक पास सुमित्रा देवी ने भी काफी मेहनत की है। मार्केट कमेटी के सचिव राकेश कुमार का भी दावा है कि यह एफपीओ महिला सशक्तिकरण का बेहतरीन उदाहरण है। महिलाओं के प्रयास आखिरकार रंग ला रहे हैं।
आगे और बेहतर की उम्मीद
राकेश के अनुसार बाजार समिति इस एफपीओ के लिए भविष्य में बेहतर करने के लिए हमेशा तैयार है। इन महिलाओं ने कहा कि कड़ी मेहनत और ईमानदारी ही सफलता की कुंजी है। लोग आर्थिक रूप से भी समृद्ध हो रहे हैं और राष्ट्रीय प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं।
और भी हैं ग्रुप
झारखंड में ऐसे कई ग्रुप हैं। एक गांव की 30 महिलाओं का समूह भी करीब 10 एकड़ जमीन पर जैविक खेती कर रहा है। 'द्रवजीवामृत' के गुणों का उल्लेख करते हुए उनमें से एक किसान प्रभा देवी कहती हैं कि रासायनिक उर्वरकों के विपरीत, यह जैविक खेती इनसे मुक्त है और लंबे समय में मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाता है। झारखंड के गांवों में 8,750 से अधिक महिलाएं 'द्रवजीवामृत' का उपयोग कर रही हैं। राज्य भर में जैविक खाद बेचने वाले 10 स्टोर चलाए जा रहे हैं। राज्य में लगभग 30,000 किसानों को सामुदायिक प्रबंधित सतत कृषि के माध्यम से प्राकृतिक खेती से जोड़ा गया है। इस तरह राज्य की महिलाओं की इनकम में भी बढ़ोतरी हुई है, जो उनके सशक्तिकरण के लिए जरूरी है।