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कमाल : गोबर के बदले मिल रहा गैस सिलेंडर, जानिए कहां

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नई दिल्ली, जून 29। अगर आपको गोबर के बदले गैस सिलेंडर मिलने लगे तो कैसा रहेगा? शायद ये खबर सुन कर आपको इस बात पर यकीन ही न हो कि गोबर के बदले गैस सिलेंडर भी मिल सकता है। मगर ये सच है। इस परियोजना को बिहार में एक जगह छोटे स्तर पर शुरू किया गया है, जहां लोग गाय-भैंस के गोबर के बदले गैस सिलेंडर ले सकते हैं। इस नयी परियोजना शुरुआत डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में हुई है। जानते हैं बाकी डिटेल।

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फिलहाल एक गांव में हुई शुरुआत

फिलहाल एक गांव में हुई शुरुआत

गोबर के बदले गैस सिलेंडर देने की योजना को एक प्रयोग के तौर शुरू किया गया है। कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर इस परियोजना के लिए काफी सकारात्मक हैं। टीवी9 की रिपोर्ट के अनुसार इस योजना को फिलहाल बिहार के मधुबनी जिले के एक गांव से शुरू किया गया है। बता दें कि यदि लोगों की तरफ से अच्छा रेस्पोंस रहा तो इस योजना को वहां बाकी गांवों में भी शुरू किये जाने की संभावना है।

क्या होगा फायदा

क्या होगा फायदा

माना जा रहा है कि इस परियोजना से एक तरफ जहां ग्रामीणों को गैस सिलेंडर मिलेंगे, वहीं दूसरी ओर किसानों के साथ-साथ अन्य लोगों को रोजगार के नये मौके मिलेंगे। इसके अलावा गांवों की स्थिति में सुधार होगा। इस परियोजना को एक वरिष्ठ भूमि वैज्ञानिक संभाल रहे हैं। बता दें कि इन ग्रामीण इलाकों में लोगों को गैस सिलेंडर तो मिल गए, मगर वे उनमें गैस नहीं भरवा पा रहे।

महिलाओं के लिए चुनौती

महिलाओं के लिए चुनौती

यहां रहने वाले परिवारों के पुरुष काम के चक्कर में दूसरी जगह जाते हैं और महिलाओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। फिर वे पैसों की तंगी के चलते सिलेंडर में गैस भरवाने के बजाय पुराने तरीकों से चूल्हा जलाती हैं। उज्ज्वला योजना के माध्यम से ग्रामीणों को गैस सिलेंडर मिल गए। मगर यहां के लोग उसे दोबारा नहीं भरवा पा रहे। इसलिए यूनिवर्सिटी ने एक नया आइडिया निकाला।

क्या होगा गोबर का

क्या होगा गोबर का

सबसे अहम सवाल ये है कि यूनिवर्सिटी भला इस गोबर का क्या करेगी। तो बता दें कि गोबर और कचरे से मिला कर यहां खाद तैयार होगी। साथ ही आगे का प्लान गोबर से 500 टन वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने का है। ये किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। फिलहाल यहां 250 टन क्षमता का काम शुरू हो चुका है। बता दें कि गोबर की खाद फसल के लिए भी अच्छी मानी जाती है। यानी एक तरफ खाद तैयार होगी और दूसरी तरफ पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा।

होगी लाखों का फायदा

होगी लाखों का फायदा

सबसे पहली बात कि जो किसान इस योजना का फायदा लेने के लिए गोबर का इंतजाम करेंगे वे उनका दूध बेच कर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं। उनके परिवारों को एक तरह से मुफ्त सिलेंडर मिलेगा। बदले में उन्हें बढ़िया खाद मिलेगी। गांव की कुल 56 फैमिली इस परियोजना में शामिल हुई हैं। जिस गांव में ये योजना शुरू हुई है, वहां कुल 104 परिवार हैं। बता दें कि यूनिवर्सिटी का प्लान कुछ सालों बाद इस योजना को पूरी तरह से गांव वालों को सौंपने का है।

English summary

Amazing get Gas cylinder in exchange of dung know where

It is believed that from this project, while on one hand the villagers will get gas cylinders, on the other hand, farmers as well as other people will get new employment opportunities.
Story first published: Tuesday, June 29, 2021, 16:09 [IST]
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