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कमाल : जमीन के नीचे बनते हैं Diamond, हर सेकंड चल रहा काम

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नई दिल्ली, सितंबर 10। यह बात सभी जानते हैं कि जमीन के नीचे से बहुमूल्य धातुएं निकाली जाती हैं। जमीन के नीचे इनका भंडार है। इनमें कोयले और तेल के अलावा सोना और हीरे भी शामिल हैं। मगर अब वैज्ञानिकों को पृथ्वी में अंदर की ओर एक ऐसी जगह दिखी है जहां हीरे बनते हैं। वहां हीरे हर समय बनते ही रहते हैं कि मानो वो हीरों की फैक्ट्री हो। पृथ्वी की कई सतह हैं। वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार इन्हीं सतहों के बीच में हीरे की फैक्ट्री है। इस फैक्ट्री में हर सेकंड डायमंड बनते रहते हैं। माना गया है कि यह परत पत्थर की चट्टानों के स्थित है। इस पर प्रेशर पड़ता है, जिससे हीरे बनते रहते हैं।

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एलीमेंट बन जाते हैं हीरा

एलीमेंट बन जाते हैं हीरा

वैज्ञानिकों ने इस मामले में प्रयोगशाला में रिसर्च की। उन्होंने पाया कि बहुत ज्यादा तापमान और दबाव से लोहे, कार्बन और पानी का जो कॉम्बिनेशन तैयार होता है उसके कारण कोर-मेंटल बाउंड्री पर सारे एलीमेंट हीरे में तब्दील हो जाते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह प्रोसेस पृथ्वी अंदर भी होती है। इस क्षेत्र को "अल्ट्रा लो वेलोसिटी ज़ोन" के नाम से जाना जाता है।

पिघला हुआ लोहा और पत्थर

पिघला हुआ लोहा और पत्थर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के एक भू-वैज्ञानिक सांग-हेन शिम के मुताबिक पृथ्वी के अंदर जहां कोर मेंटल हैं, उस जगह पिघला लोहा और पत्थर एक-दूसरे से तेज रगड़ खाते हैं। जबकि यहां काफी प्रेशर भी होता है। इससे दिखने में यह किसी फैक्ट्री की तरह लगेगा। यहां एक केमेस्ट्री भी देखी जा सकती है। इसके नतीजे में इसी फैक्ट्री में हीरे बनते हैं।

ऐसे बनते हैं हीरे
 

ऐसे बनते हैं हीरे

हीरे पूरी तरह से कार्बन एटम्स से केमिकल्स बॉन्ड्स की एक विशिष्ट मजबूत व्यवस्था में बने होते हैं। वे पूरे ग्रह में क्रस्ट में पाए जा सकते हैं, लेकिन अविश्वसनीय रूप से दुर्लभ हैं और इसलिए ही महंगे हैं। माना जाता है कि हीरे को उनके मूल से पृथ्वी की सतह पर गहरे स्रोत ज्वालामुखी विस्फोटों के माध्यम से ले जाया गया है।

सबसे कठोर पदार्थ

सबसे कठोर पदार्थ

सबसे कठोर पदार्थ, हीरा, इंडस्ट्री में काटने और घर्षण के लिए उपयोग किया जाता है। साथ ही साथ यह एक सम्मानित और प्रतीकात्मक आभूषण रत्न भी होता है। हाल ही में एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के पीएचडी ग्रेजुएट और पेपर के सह-लेखक ब्योंगक्वान को ने एक बयान में कहा कि यह और भी रोमांचक है क्योंकि कोर-मेंटल सीमा पर हीरे का निर्माण ग्रह पर सबडक्शन की शुरुआत के बाद से अरबों वर्षों से चल रहा है।

कितना हो जाता है तापमान

कितना हो जाता है तापमान

3,000 किमी की गहराई पर सिलिकेट मेंटल और धातु कोर के बीच की सीमा पर तापमान लगभग 7,000 फॉरेन्हाइट तक पहुंच जाता है, जो कि अधिकांश खनिजों के लिए पर्याप्त रूप से बहुत हाई है। वास्तव में, तापमान इतना अधिक होता है कि कुछ खनिज ऐसी परिस्थितियों में पिघल जाते हैं। कार्बन लोहे के साथ मजबूती से बॉन्ड बनाता है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि लोहे से भरपूर कोर में इसकी काफी मात्रा होगी। मेंटल भी आश्चर्यजनक रूप से कार्बन से भरपूर पाया गया है, जिसकी व्याख्या वैज्ञानिक पहले नहीं कर पाए हैं।

English summary

Amazing Diamonds are made under the ground work going on every second

Scientists did research in this matter in the laboratory. They found that due to the combination of iron, carbon and water produced by high temperature and pressure, all the elements at the core-mantle boundary turn into diamonds.
Story first published: Saturday, September 10, 2022, 16:47 [IST]
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