Airtel पर बढ़ सकता है एजीआर का भार, जानिये क्यों
नयी दिल्ली। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) एक यूसेज और लाइसेंस चार्ज है, जो टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार विभाग को चुकाना होता है। पिछले कुछ महीनों से एजीआर को लेकर एयरटेल और वोडाफोन आइडिया दबाव में हैं। सुप्रीम कोर्ट में इन कंपनियों की याचिकाएँ दाखिल की जा चुकी हैं। इसी बीच एयरटेल के लिए एजीआर से जुड़ी एक और बुरी खबर आयी है। एयरटेल पर एजीआर का भार बढ़ सकता है। एयरटेल को वीडियोकॉन टेलीकम्युनिकेशंस के बकाया एजीआर में से भी बड़ा हिस्सा चुकाना पड़ सकता है। आपको बता दें कि मार्च 2016 में एयरटेल ने वीडियोकॉन टेलीकम्युनिकेशंस से 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में 25 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदे थे, जिसके लिए कंपनी को यूसेज चार्जेस बतौर एजीआर चुकाना पड़ सकता है। एयरटेल ने बंद हो चुकी टेलीकॉम कंपनी एयरसेल से भी स्पेक्ट्रम खरीदा था। लेकिन संभावना है कि दूरसंचार विभाग एयरसेल के बकाया को एयरटेल के बिल में शामिल न करे।
कितना है बकाया एजीआर
दूरसंचार विभाग का एयरटेल पर बकाया एजीआर 35,586 करोड़ रुपये, वीडियोकॉन पर 2041 करोड़ रुपये और एयरसेल पर 11950 करोड़ रुपये है। एयरटेल ने अपने बकाया में से 17 फरवरी को 10000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार के मुताबिक 2015 में निर्धारित ट्रेडिंग नियमों के अनुसार एयरवेव बेचने वाली कंपनी को स्पेक्ट्रम सौदे से पहले किसी भी देनदारियों का भुगतान करना जरूरी है। लेकिन सौदे के बाद में किसी देनदारी का पता चले तो दूरसंचार नियामक विक्रेता या खरीदार दोनों में से किसी से भी भुगतान करने के लिए कह सकता है।
एयरटेल-एयरसेल के बीच 2016 में हुआ था सौदा
एयरटेल ने 2016 में एयरसेल से 2300 मेगाहर्ट्ज के 4जी बैंड में 23 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खरीदा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि दूरसंचार विभाग एयरसेल के बकाया का भार एयरटेल पर नहीं डालेगा ऐसी संभावना है। इसका कारण यह है कि एयरसेल का बकाया 2जी और 3जी एयरवेव का है, जबकि एयरटेल ने बमुश्किल इस्तेमाल किया गया 4जी स्पेक्ट्रम खरीदा था। इसी तरह रिलायंस कम्युनिकेशंस के एजीआर का बकाया 21921 करोड़ रुपये रिलायंस जियो के जिम्मे नहीं बांधा जायेगा।
कब चुकायेगा एयरटेल बाकी राशि
भारती एयरटेल बकाया एजीआर में से 10,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। वहीं शेष राशि 17 मार्च से पहले जमा की जायेगी। एयरटेल ने यह बात दूरसंचार विभाग को लिखे एक पत्र में कही है। साथ ही एयरटेल ने यह भी कहा है कि 22 सर्किलों में बकाया की गणना करने के लिए कंपनी को थोड़ा समय चाहिए। एजीआर के मामले में सबसे खराब हालत वोडाफोन की है। जिस पर 53000 करोड़ रुपये से ज्यादा का एजीआर बाकी है, जिसमें अभी तक यह 2500 करोड़ रुपये ही चुका पायी है। वहीं जियो ने अपना एजीआर बिल साफ कर दिया है।
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