AGR मामला : लॉकडाउन से मिली टेलीकॉम कंपनियों को राहत
नयी दिल्ली। एक तरफ जहां कोरोनावायरस देश के अलावा पूरी दुनिया के लिए मुसीबत बन गया है। वहीं टेलीकॉम कंपनियों के लिए ये थोड़ी राहत लाया है। कोरोनावायरस के कारण हुए लॉकडाउन से जनता के सामने बहुत सारी चुनौतियां आ रही हैं। मगर टेलीकॉम कंपनियों को इसी लॉकडाउन ने थोड़ी राहत दी है। टेलीकॉम कंपनियों पर एजीआर बकाया का भुगतान करने के लिए दबाव है। एयरटेल और वोडाफोन एजीआर बकाया चुकाये जाने की मांग से जूझ रही थीं, उन्हें अब अस्थायी राहत मिली है। दरअसल दूरसंचार विभाग इस समय दूसरे जरूरी कामों में व्यस्त है और एजीआर मामले पर ढील दे रहा है। बता दें कि वोडाफोन और एयरटेल पर हजारों करोड़ रुपये का एजीआर बकाया था, जिसमें कंपनियों ने कुछ अदा कर दिया है।
क्या है दूरसंचार विभाग की चुनौतियां
देश के 1.3 अरब लोग लॉकडाउन में हैं। ऐसे में करोड़ों लोग घरों में जीवन गुजार रहे हैं और घरों से ही काम कर रहे हैं। ऐसे में टेलीकॉम सेवाओं को जारी और एक्टिवेट बनाये रखना सरकार की प्रमुख जिम्मेदारी बन गयी है। इसलिए दूरसंचार विभाग ने एजीआर बकाया संबंधित मामलों को अस्थायी रूप से साइड कर दिया है और टेलीकॉम सेक्टर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया है। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार बकाया एजीआर का भुगतान करने या चर्चा करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को फिलहाल कोई नोटिस नहीं भेजा गया है। इस समय दूरसंचार विभाग का सारा ध्यान कोरोना महामारी के दौरान टेलीकॉम सर्विस को सुचारू रूप से चलाने पर है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी दूरसंचार विभाग को फटकार
17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग को यह कहते हुए फटकार लगाई कि AGR बकाया का स्व-मूल्यांकन अदालत की अवमानना है। हालांकि, इसने सरकार को एक अलग भुगतान सिस्टम के साथ मामले में आगे बढ़ने की अनुमति भी दी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को दो हफ्ते में मामले की सुनवाई करनी थी। मगर लॉकडाउन के चलते यह स्पष्ट नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई कब करेगा।
वोडाफोन ने दिये और 6854 करोड़ रुपये
इससे पहले इस हफ्ते वोडाफोन आइडिया, जिसे एजीआर की सबसे अधिक रकम है, ने 6,854 करोड़ रुपये की स्व-मूल्यांकन वाली मूल राशि का भुगतान कर दिया। इसे AGR बकाया के लिए कुल 58,254 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। एयरटेल ने 18,004 करोड़ रुपये की स्व-मूल्यांकन राशि का भुगतान कर दिया और इसे कुल 43,980 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। वहीं टाटा टेलीसर्विसेज ने 4,197 करोड़ रुपये का भुगतान किया और जबकि इसे कुल 16,798 करोड़ रुपये का भुगतान करना है।
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