अजब-गजब : 60 साल पहले Gold आज की चॉकलेट से भी था सस्ता, पढ़िए दिलचस्प जानकारी
Gold Rate History : सोना हमेशा भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है। स्मारकों से लेकर कान की बालियों तक, भारतीयों का सोने से लगाव छिपा नहीं है। लोग अपने एक्स्ट्रा पैसों में से कुछ का इस्तेमाल सोना खरीदने के लिए करते ही हैं। सोने की कीमतें भारत में साल दर साल बढ़ी हैं। कुछ साल गिरावट के भी रहे, मगर अधिकतर सालों में इसमें तेजी दर्ज की गयी। बहरहाल आज के समय में सोना 56-57 हजार रु की रेंज में है। पर क्या आप जानते हैं कि अब से 63 साल पहले सोने की कीमत क्या थी? अगर नहीं तो आगे जानिए।
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एक पुराना बिल हो रहा वायरल
जैसा कि आपको अंदाजा होगा ही कि 1950 के दशक में सोना आज की कीमत से काफी सस्ता हुआ करता होगा। अब 1950 के दशक के एक सुनार के बिल की एक तस्वीर इंटरनेट पर वायरल हो रही है और आज हम जिस समय में जी रहे हैं, उसे देखते हुए सोने के लिए इतनी मामूली कीमतों (जो कि बिल में दर्ज हैं) से कई लोगों को झटका लगा है।
चॉकलेट से भी सस्ता
आज के समय में अगर कोई व्यक्ति सोना खरीदना चाहता है, तो उसे निश्चित रूप से यह चिंता होगी कि इससे उसकी जेब पर बोझ पड़ेगा। सोने को एक संपत्ति भी माना जाता है, क्योंकि लोग सोने को निवेश के रूप में इकट्ठा करते हैं। हालांकि, वायरल हुए बिल की तस्वीर से पता चलता है कि आज की एक सिल्क चॉकलेट बार की कीमत उस समय यानी 1959 के सोने के रेट से अधिक है।
कितनी थी कीमत
यह बिल 1959 में महाराष्ट्र राज्य में सोने और चांदी की कीमत को दर्शाता है। एक तोला, या 11.66 ग्राम सोने की कीमत बिल में 113 रुपये के रूप बताई गयी है। नंबर और कैल्कुलेशन के अनुसार 1 ग्राम सोने की कीमत होती थी (इस पुराने बिल के अनुसार) लगभग 10 रुपये। दस रुपये के नोट से आज आपको चॉकलेट का एक छोटा पैकेट ही मिल सकता है। जबकि यदि कैडबरी की सिल्क चॉकलेट की बात करें तो उसकी कीमत अमेजन पर 155 रु है। यानी 1959 के रेट के अनुसार एक तौले सोने से भी अधिक।
पुरानी कीमतों से तुलना
पिछली पुरानी कीमतों की तुलना में अब सोने की कीमत प्रति ग्राम 568 रुपये है। यदि हम इतने ही पैसे का उपयोग करते, जितना 1950 के दशक में एक ग्राम सोने को खरीदने के लिए करते, तो आज हम 500 ग्राम से अधिक सोना खरीद सकते हैं। अगर सोने की कीमतें चढ़ती रहीं तो भविष्य में यह आने वाली पीढ़ी को और भी तगड़ा झटका दे सकता है।
निवेश के लिए बेहतर
सोने को हमेशा न केवल मुद्रास्फीति के खिलाफ एक अच्छे बचाव ऑप्शन के तौर पर देखा जाता है, बल्कि अर्थव्यवस्थाओं और बाजारों के सामने आने वाले कई जोखिमों के खिलाफ एक सुरक्षित आश्रय के रूप में भी देखा जाता है। बढ़ती महंगाई और मंदी के मंडराते जोखिम के कारण सोने की मांग में तेजी आई है। जब आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और अन्य एसेट क्लास अच्छा प्रदर्शन कर रही होती हैं तो सोने का रिटर्न आमतौर पर कम रहता है।