एयरटेल, वोडाफोन आइडिया से पैसे वसूलने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत
एयरटेल, वोडाफोन आइडिया से पैसे वसूलने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को टेलीकॉम कंपनियों से एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के विवाद से संबंधित 92000 करोड़ रुपये वसूलने की इजाजत दे दी है। कंपनियों को जुर्माना और ब्याज भी चुकाना पड़ेगा। अदालत ने गुरुवार को फैसला देते हुए दूरसंचार विभाग द्वारा तय एजीआर की परिभाषा को बरकरार रखा। अदालत ने टेलीकॉम कंपनियों की अपील खारिज कर दी। साथ ही कहा कि इस मामले में अभी और मुकदमेबाजी नहीं होगी।
बकाया भुगतान की गणना के लिए समय अवधि तय की जाएगी। कंपनियां टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट और अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थीं। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि किराए, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और लाभांश जैसे नॉन टेलीकॉम रेवेन्यू भी एजीआर में गिने जाएंगे।
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न्यू टेलीकॉम नीति के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर का कुछ हिस्सा सालाना लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना जरूरी है। इसके अतिरिक्त रेडियो फ्रीक्वेंसी के इस्तेमाल के लिए स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज (एसयूसी) भी देना जरूरी है। कंपनियां अपने हिसाब से गणना के आधार पर स्पेक्ट्रम शुल्क और लाइसेंस फीस चुकाती हैं। दूरसंचार विभाग लगातार बकाया की मांग करता है।
इस बारे में विभाग ने कहा था कि एजीआर में डिविडेंड, हैंडसेट की बिक्री, किराया और कबाड़ की बिक्री भी शामिल होनी चाहिए। टेलीकॉम कंपनियों की दलील थी कि एजीआर में सिर्फ प्रमुख सेवाएं शामिल की जाएं। इस मामले में अदालत ने अगस्त में फैसला सुरक्षित रखा था।
आपको बता दें कि दूरसंचार विभाग ने जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर टेलीकॉम कंपनियों पर बकाया लाइसेंस फीस की जानकारी दी थी। कुल 92,641.61 करोड़ रुपये का बकाया बताया गया था।
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