भारत, थाईलैण्ड ने 2,400 करोड़ रुपए के अनुबंधों पर किया हस्ताक्षर
भारत और थाईलैंड ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत बनाने के लिए 2,400 करोड़ रुपये के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं।
देश के व्यापारिक संबंधों को लेकर बड़ी खबर है। भारत और थाईलैंड ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत बनाने के लिए 2,400 करोड़ रुपये के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री ज्यूरिन लक्षणाविजीत ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।
उन्होंने सीआईआई द्वारा एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा कि ये अनुबंध रबड़, निर्माण सामग्री, खाद्य और पेय पदार्थ और लॉजिस्टिक्स सहित विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित हैं।
लक्षणाविजीत ने पहले भारतीय यात्रा में हुए अनुबंधों की जानकारी देते हुए कहा कि मुंबई में 4.45 अरब थाई बहत यानी लगभग नौ सौ करोड़ रुपये और यहां चेन्नई में 7.623 अरब थाई बहत यानी करीब 1,500 करोड़ रुपये के अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
उन्होंने कहा, इस यात्रा से 12.075 अरब थाई बहत यानी लगभग 2,400 करोड़ रुपये का व्यापार सृजत हुआ है। यह संतोषजनक आंकड़ा है और हम इसे यात्रा के लिए बड़ी सफलता मानते हैं।
उनके साथ 30 से अधिक कंपनियों का प्रतिनिधिमंडल भी यहां आया है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत के साथ रणनीतिक भागीदारी को मजबूत करना और व्यवसायों के नए अवसरों का विस्तार करना है।
उन्होंने कहा कि मुंबई में खाद्य पदार्थ, निर्माण सामग्री, लॉजिस्टिक्स और रियल एस्टेट विकास पर जोर दिया जा रहा है। चेन्नई में रबड़ पर जोर दिया जा रहा है।
साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों से यहां की रबड़ मांग के बारे में जानकारी मिली है। यहाँ लगभग 10 लाख टन रबड़ की मरम्मत की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, भारत का घरेलू बाजार लगभग 40 प्रतिशत मांग की पूर्ति कर सकता है। अत: 60 प्रतिशत मांग की पूर्ति के लिए भारत को रबड़ आयात करने की आवश्यकता है। इस कारण भारत अपार संभावनाओं का बाजार है।
लक्षणाविजीत ने माना कि कई देशों के बीच व्यापार युद्ध का भारत पर कोई असर नहीं पड़ा है। साथ ही उन्होंने कहा, भारत में थाई खाद्य तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। मैं थाई फूड को बढ़ावा देने के लिए एक और बार भारत की यात्रा पर आउंगा। उन्होंने दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के बारे में कहा कि 2018 में दोनों देशों के बीच 12 अरब डॉलर का व्यापार हुआ।