फेस्टिव सीजन से पहले रुलाया प्याज, जानें कितनी बढ़ी कीमत
एक बार फिर से आम आदमी को रुला रहा प्याज। हाल के कुछ दिनों में प्याज के कीमत में बेहिसाब बढ़ोतरी हो रही है।
नई दिल्ली: एक बार फिर से आम आदमी को रुला रहा प्याज। हाल के कुछ दिनों में प्याज के कीमत में बेहिसाब बढ़ोतरी हो रही है। देशभर में प्याज की आवक कमजोर होने के कारण रोज इसके दाम में इजाफा हो रहा है। पिछले एक सप्ताह में प्याज के भाव में 40-50 फीसदी की वृद्धि हुई है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में गुरुवार को प्याज का थोक भाव 30-46 रुपये प्रति किलो था। वहीं, महाराष्ट्र के नासिक में अच्छी क्वालिटी का भाव 50-55 रुपये प्रति किलो था। कारोबारियों ने बताया कि देश में प्याज का स्टॉक काफी कम है, इसलिए मंडियों में आवक कमजोर है।
निर्यात होने की संभावना कम
प्याज की कीमतों में हो रही वृद्धि को थामने के लिए सरकार ने बीते सप्ताह प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 850 डॉलर प्रति टन कर दिया। जानकारी के मुताबिक सरकार के इस कदम के बाद निर्यात होने की संभावना कम हो गई है। नासिक के एक निर्यातक ने कहा कि देश में खाने के लिए प्याज की किल्लत हो गई है, ऐसे में निर्यात कहां से होगा। वहीं उन्होंने कहा कि कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, केरल, तमिलनाडु समेत सभी दक्षिणी राज्यों में प्याज के स्टॉक में कमी है। हालांकि कारोबारियों ने बताया कि इस समय किसी भी मंडी में 1,000-1,500 ट्रक से ज्यादा प्याज की आवक नहीं देखी जा रही है।
बारिश से प्याज की फसल खराब
वहीं आजादपुर मंडी के कारोबारी और अनियन मर्चेंट एसोसिएशन का कहना है पिछले दिनों दक्षिणी राज्यों में हुई बारिश से प्याज की फसल खराब होने की आशंका बढ़ गई है जिससे कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। कहा तो ये भी जा रहा है आने वाले दिनों में प्याज के दाम और बढ़ेंगे। वहीं एक अन्य प्याज व्यापारी ने कहा कि प्याज की नई फसल की आवक शुरू होने में अभी दो महीने बाकी हैं, इसलिए आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में और इजाफा होना तय है।
बता दें कि आकलन के आजादपुर मंडी में गुरुवार को प्याज की आवक 57 ट्रक थी जबकि रोजाना मांग 75 ट्रक की होती है। प्याज की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार पहले ही नेशनल एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नैफेड) को अपने स्टॉक से खुले बाजार में प्याज की बिक्री करने को कह चुकी है। सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदम प्याज के दाम में हो रही वृद्धि को रोकने में कामयाब नहीं हो पाए हैं।