सुब्रमण्यम स्वामी: ऐसे अर्थव्यवस्था को ला सकते हैं पटरी पर
यहां पर आपको सुब्रमण्यम स्वामी का अर्थव्यवस्था से जुड़े बयान के बारे में बताएंगे।
इस समय अर्थव्यवस्था को लेकर हर कोई अपनी-अपनी राय दे रहे हैं। पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बताया और अब भाजपा के ही सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया है। उन्होंने कहा है कि वृहद अर्थशास्त्र की अच्छी समझ रखने वाला व्यक्ति ही अर्थव्यवस्था को मौजूदा गिरावट से उबार सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को आज संकट प्रबंधन के लिए अनुभवी राजनेताओं और पेशेवरों की टीम की जरूरत है। पेशेवेर ऐसे हों जिनके पास राजनीतिक की अच्छी समझ हो और भारतीय विचारों पर भरोसा करने वाले अर्थशास्त्री हों।
साथ ही वे आंतरिक मुद्राकोष (आईएमएफ) और विश्वबैंक की लकीर के फकीर नहीं हो सकते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक रिसेट: रिगेनिंग इंडियाज एकोनामिक लिगैसी में लिखा है, अर्थव्यवस्था की जिम्मेदारी जिन्हें मिली है, उन्हें वास्तविकता का पता नहीं है। वे मीडिया को साधने और बातों में घुमाने में लगे हैं। अर्थव्यवस्था में कई गंभीर बुनियादी कमियाँ हैं और इसीलिए हमारी अर्थव्यवस्था ऐसे नरमी में पड़ी है जो 1947 के बाद कभी नहीं दिखी।
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स्वामी का यह भी मानना है कि सरकारी उप समितियों में कई ऐसे सदस्य हैं, जिनके पास मात्रात्मक आर्थिक तर्कों को वृहद आर्थिक सीमाओं में लागू करने को लेकर औपचारिक प्रशिक्षण नहीं है। जैसे संकट के कारणों को चिन्हित करना, अनुकूलम उपायों की पहचान और संबद्ध पक्षों को उत्साहित करना। क्या मोदी सरकार के पास इस स्थिति से निपटने के लिए आपात नुस्खा है?
उनका कहना है कि फिलहाल ऐसा नहीं दिख रहा है। वृहत विज्ञान की मजबूत समझ जरूरी है। उन्होंने यह भी लिखा है कि मजबूत मांग के संकेत के बिना और लोगों के बीच कमजोर क्रय शक्ति को देखते हुए मुद्रास्फीति में नरमी को उपलब्धि नहीं माना जा सकता है। यह अवस्फीति का रूप है। अवस्फीति में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी आती है।