मुद्रा योजना हो रही विफल, पेश हुए निराशाजनक आंकड़े
श्रम मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार मुद्रा योजना केवल 10 प्रतिशत नौकरी पैदा कर सकी है।
मुद्रा योजना नए और छोटो बिजनेस को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा 2015 में लॉन्च की गई थी। जिसका उद्देश्य देश में व्यापक रुप से रोजगार पैदा करना था। परन्तु श्रम मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार मुद्रा योजना केवल 10 प्रतिशत नौकरी पैदा कर सकी है। रिर्पोट के अनुसार मुद्रा योजना के लिए लोन का पांच लोगों में से सिर्फ एक ने ही नया बिजनेस शुरु किया है। बाकी पुराने बिजनेस को बढ़ाने का काम किया है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिर्पोट के अनुसार श्रम मंत्रालय के तहत आने वाली लेबर ब्यूरो ने यह सर्वे किया है, जिसके अनुसार अप्रैल 2015 से दिसंबर 2017 तक 1.12 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां पैदा हुई हैं, जिसमें 51.06 लाख सैलरी कर्मचारी हैं। बता दें कि सर्वे की ड्राफ्ट रिपोर्ट 27 मार्च 2019 को तैयारी की गई थी, जिसमें बताया गया कि अप्रैल नवंबर 2018 के दौरान 97 हजार लोगों को मुद्रा लोन योजना का फायदा मिला। मुद्रा योजना के तहत कुल 5.71 लाख करोड़ के लोन पहले तीन वर्षों में बांटे गए। बांटे गए लोन की औसत राशि 46,536 रुपए रही।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना क्या है जानिए नियम और शर्तें
आपको बता दें कि मुद्रा योजना के तहत तीन प्रस्तावों में लोन दिया जाता है। पहला शिशु लोन के तहत 50 हजार रुपए तक का लोन दिया जाता है। दूसरा किशोर कैटेगरी के तहत 50 हजार से 5 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है। तीसरा चरण तरुण है। इसके तहत 5 से 10 लाख रुपये का लोन दिया जाता है। वर्ष 2017-18 के दौरान बांटे गए लोन में से शिशु लोन का हिस्सा 42 प्रतिशत है। वहीं किशोर लोन का हिस्सा 34 प्रतिशत है। तरुण लोन की भागीदारी 24 प्रतिशत है।
वहीं शिशु लोन से 66 प्रतिशत नौकरियां उत्पन्न हुई। किशोर लोन से 18 प्रतिशत और तरुण लोन से 15 प्रतिशत लोगों को रोजगार मिला। इसमें से कृषि क्षेत्र से 22 लाख नौकरियां पैदा हुई, जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से 13 लाख रोजगार सृजित हुए।