कोर्ट: नोटों और सिक्कों के साइज में बदलाव को लेकर आरबीआई को पड़ी डांट
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने सवालों के जवाब नहीं मिलने पर आरबीआई को फटकार लगाई है।
नई दिल्ली: बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने सवालों के जवाब नहीं मिलने पर आरबीआई को फटकार लगाई है। बता दें कि कोर्ट ने आरबीआई से पूछा था कि वह करंसी नोटों और सिक्कों के फीचर्स बार-बार क्यों बदलता रहता है? हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस भारती डांगरे की बेंच नैशनल असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड की याचिका की सुनवाई कर रही थी। असोसिएशन की मांग है कि करंसी नोट और सिक्के दृष्टिहीनों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बनाए जाएं।
कोर्ट ने आरबीआई से मांगा था जबाव
बता दें कि आरबीआई से हाई कोर्ट ने 1 अगस्त तक इसका जवाब देने का निर्देश दिया था कि आखिर नोट की साइज बार-बार बदलने की उसकी क्या मजबूरी है। इस पर आरबीआई के वकील ने नोटों को बदलने के फैसले का पुराना इतिहास, कारणों की तलाश और आंकड़े जुटाने के लिए समय की मांग की तो कोर्ट चिढ़ गया। चीफ जस्टिस नंदराजोग का कहना हैं कि फैसले के लिए आपको आंकड़े की जरूरत नहीं है। हम आपसे यह नहीं पूछ रहे हैं कि आपने कितने नोट छापे। जजों ने कहा कि नकली नोटों पर लगाम के लिए नोट बदलने का दावा नोटबंदी में हवा-हवाई हो चुका है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, 'आरबीआई से जारी हर मुद्रा वापस उसी के पास जाती है।' बेंच नोट बदलने का कारण बताने में देरी पर बिफर पड़ी। उसने कहा कि अगर देरी का कोई तार्किक कारण था तो कोर्ट को पहले ही बता दिया जाना चाहिए था।
आरबीआई को दिया दो हफ्ते का वक्त
इस बात की जानकारी दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट के जजों ने कहा कि आरबीआई अपनी शक्तियों का इस तरह इस्तेमाल नहीं कर सकता है कि लोगों को तकलीफ हो। उन्होंने कहा कि कोई नागरिक पीआईएल फाइल यह भी पूछ सकता है कि एक रुपये का नोट सर्कुलेशन से बाहर क्यों हो गया है। वह तो लीगल टेंडर है। जजों ने कहा कि दृष्टिहीन लोगों को नोटों को उसकी साइज समझने में वक्त लगता है। चीफ जस्टिस ने कहा, 'कम-से-कम इतना तो कह दीजिए कि भविष्य में नोटों का आकार नहीं बदला जाएगा। अगर आप यह कह देंगे तो समस्या करीब-करीब खत्म हो जाएगी। आरबीआई को जवाब देने के लिए अब दो हफ्ते का वक्त दिया गया है।