अरुण जेटली ने वन नेशन-वन टैक्स को लागू करने में निभाई थी प्रभावी भूमिका
यहां पर आपको बताएंगे कि कैसे अरुण जेटली ने जीएसटी लागू करने और नोटबंदी में अहम भूमिका निभायी थी।
देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्र के पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का आज दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया है। आपको बता दें कि जेटली ने अपने कार्यकाल में देश की इकोनॉमी के तेज विकास और कर सुधारों की दिशा में कई अहम फैसले लिए थे। जिसमें सबसे बड़ा फैसला था वन नेशन-वन टैक्स यानी जीएसटी (GST) को लागू करना। जीएसटी देश में लागू भी हुआ और यह फैसला अभी भी देश के राजस्व को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभा रहा है।
आपको बता दें कि विभिन्न वस्तुओं पर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कर की दर के कारण लंबे समय से एक देश-एक कर की मांग उठ रही थी। 2014 में केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनने के बाद पहली बार वित्त मंत्री बने अरुण जेटली ने इस मांग को पूरा करने का बीड़ा उठाया। लंबी जद्दोजहद के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार बिल सेंट्रल जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी, यूनियन टेरिटरी जीएसटी और कॉम्पेंसेशन जीएसटी बिल तैयार किए।
पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का निधन
इसके बाद वस्तुओं पर करों की आपूर्ति तय करने की जिम्मेदारी वस्तु एवं सेवा कर परिषद (जीएसटी काउंसिल) को दी गई। अंतत: 30 जून 2017 की आधी रात को संसद भवन में भव्य समारोह का आयोजन कर देश को जीएसटी का तोहफा दिया गया। देश के सबसे बड़े आर्थिक सुधार में शुमार जीएसटी 1 जुलाई 2017 से जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू हो गया है।
ये फैसले भी मोदी ने लिए
- इसके अलावा जेटली ने अपने कार्यकाल में 1 अप्रैल 2018 को ई-वे बिल को लागू हुआ, जो कि वस्तुओं को एक राज्य से दूसरे राज्य में लाने-लेजाने का काम करता है।
- 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 की नोट को बंद कर दिया गया था। उसके बाद 2000 रुपए की नई नोट एवं 500 की नई नोट लोगों के लिए प्रस्तुत की गईं।
- कर्ज न चुकाने वाले बकाएदारों से निर्धारित समय के अंदर बकाए की वसूली के लिए अरुण जेटली इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड लेकर आए है। सर्वप्रथम यह बिल 21 दिसंबर 2015 को प्रकाशित हुआ था। लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद 28 मई 2016 को यह बिल लागू हुआ था। इस बिल के लागू होने के बाद बैंकों और अन्य लेनदारों को दिवालिया कंपनियों से वसूली में मदद मिल रही है। 28 फरवरी 2019 तक इस बिल के तहत दिवालिया कंपनियों से 1.42 लाख करोड़ रुपये की वसूली हो चुकी है।
- जेटली ने वित्त मंत्री रहते हुए रेल बजट को आम बजट में शामिल कर दिया। उससे पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किए गए थे। उन्होंने बजट पेश करने की तारीख में बदलाव किए। पहले यह फरवरी महीने की आखिरी तारीख में पेश किया जाता था। लेकिन, अरुण जेटली ने इसे एक महीने पहले 1 फरवरी कर दिया।
- निवेशकों को लुभाने के लिए और निवेश की चाल को बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने कार्यकाल में एफडीआई के नियमों को आसान किया। इससे विदेशी निवेशक बड़ी संख्या में भारत में निवेश करने में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री जनधन खाता योजना की शुरुआत भी जेटली के वित्त मंत्री रहते ही की गई। आज वर्तमान में 40 करोड़ से ज्यादा जनधन खाता हैं। इस खाते में 1 लाख करोड़ से ज्यादा रुपये जमा हैं।
- देश भर में डिजिटल बैंकिंग को बढ़ाने का श्रेय भी जेटली को जाता है। डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, पीओएस मशीन, यूपीआई भीम ऐप जैसी सेवाओं को पूरे देश में शुरू कर दिया गया है। इसके चलते नगद ट्रांसजेक्शन में काफी कमी देखने को मिली और अब लोग इनका अधिक संख्या में प्रयोग करने लगे हैं।