अब विदेशी निवेशकों के लिए भारत में निवेश करने की प्रक्रिया होगी सरल
यहां पर आपको बताएंगे कि भारत में विदिशियों को निवेश करने की प्रक्रिया किस तरह से आसान हो गई है।
ऐसा नहीं है कि भारत में पहली बार विदेशी निवेश करने आएंगे। यहां पर पहले से ही कई विदेशी कंपनियां बिजनेस कर रही हैं अब बस अंतर यह होगा कि विदेशी कंपनियां यहां पर आसानी से निवशे कर सकेंगी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए अब भारत में निवेश करना पहले से अधिक सरल हो जाएगा।
पूंजी बाजार और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के बोर्ड ने बुधवार की बैठक में उनके लिए नो योर कस्टमर्स (केवाईसी) नियम सरल कर दिया। इसके साथ ही विदेशी निवेशकों को बाजार से बाहर गैर-सूचीबद्ध, सस्पेंडेड और इलिक्विड शेयरों को विदेशी या घरेलू निवेशकों को हस्तांतरित करने की अनुमति भी दे दी गई है।
आपको बता दें कि भारतीय बाजार में और अधिक विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए सेबी ने उन केंद्रीय बैंकों को एफपीआई के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति दे दी है जो बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट के सदस्य नहीं हैं। सेबी ने एक बयान में कहा कि नए नियमों के तहत एफपीआई को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा। बता दें कि पहले उन्हें तीन श्रेणियों में बांटा जाता था।
तो वहीं केवाईसी के लिए डॉक्यूमेंट की जरूरत को सरल कर दिया गया है। आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर एचआर खान की शीर्षस्थ समिति की सिफारिशों के अनुसार एफपीआई के नियम फिर से से तैयार किए गए हैं। साथ ही ऑफशोर डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट्स (ओडीआई) जारी करने और उसकी प्राप्ति के लिए शर्तों को सरल किया गया।
बता दें कि म्यूचुअल फंड द्वारा जारी किए गए ऑफशोर फंड्स को एफपीआई के रूप में पंजीकरण कराने के बाद देश में निवेश करने की इजाजत दे दी गई है। अन्य बदलावों के तहत इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) में स्थापित कंपनियों के बारे में मान लिया जाएगा कि वे एफपीआई की शर्तों पर खरे उतारते हैं। मल्टीपल इन्वेस्टमेंट मैनेजर (MIM) के लिए पंजीकरण की संरचना सरल कर दी गई है।