पीएफ मेंबर्स को मिलेगी खुशखबरी, बढ़ सकती ब्याज दर और दोगुनी होगी पेंशन
नौकरी करने वाले लोगों के लिए आज का दिन बहुत खास है। कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफओ के सदस्यों को आज दोगुनी खुशी मिलने के आसार हैं।
नई दिल्ली: नौकरी करने वाले लोगों के लिए आज का दिन बहुत खास है। कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफओ के सदस्यों को आज दोगुनी खुशी मिलने के आसार हैं। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की आज सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के साथ हैदराबाद में बैठक होनी है। बता दें कि बैठक में ईपीएफओ दो मुद्दों को लेकर चर्चा कर सकता है। जानकारी दें कि बैठक में पेंशनधारकों की पेंशन को दोगुनी करने और पीएफ पर पिछले वित्त वर्ष के लिए कितना ब्याज दिया जाए इस पर चर्चा हो सकती है। पीएफ खाते को आधार से लिंक करने का तरीका जान लें ये भी पढ़ें
न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 1 हजार से 2 हजार रुपये करने का प्रस्ताव
जानकारी के मुताबिक बैठक में न्यूनतम पेंशन को 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये करने पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा वित्त वर्ष 2018-19 के लिए पीएफ पर ब्याज दर को 8.65 फीसदी रखने पर भी सहमति बन सकती है। इन दोनों फैसले का फायदा पेंशन और पीएफ धारकों को मिलेगा। बैठक में न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 1 हजार से 2 हजार रुपये करने का प्रस्ताव को अगर बोर्ड की तरफ से मंजूरी मिलती है तो फिर इसे मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा।
पेंशन को 2000 रुपए करने के पक्ष में सरकार
आपको बता दें कि न्यूनतम पेंशन में बढ़ोतरी को लेकर सरकार ईपीएफओ से पहले बातचीत कर चुकी है। जबकि श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने पहले ही पेंशन को दोगुना करने पर अपनी सहमति जताई थी। सरकार भी इस पक्ष में है कि पेंशन को 2000 रुपए किया जाए। हालांकि, ईपीएफओ ने सरप्लस पैसा नहीं होने की बात कहकर न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने से इनकार कर दिया था। लेकिन, इसे भी दोबारा रिव्यू किया जा रहा है। अगर सीबीटी इसे मंजूर करता है तो निश्चित ही यह बहुत बड़ा फैसला होगा।
पीएफ ब्याज देने से बैंकों के लिए आकर्षक ब्याज दरें देना संभव नहीं : वित्त मंत्रालय
बता दें कि वित्त मंत्रालय को इस बात की चिंता है कि पीएफ पर ज्यादा ब्याज देने से बैंकों के लिए आकर्षक ब्याज दरें देना संभव नहीं होगा। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। वित्त मंत्रालय की आपत्ति ऐसे वक्त में आई है जब बैंक फंड जुटाने के लिए लोन पर ब्याज दरें कम करने से बच रहे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मंजूरी के बाद श्रम मंत्रालय को सौंपे गए मेमोरेंडम में कहा गया था कि IL&FS में निवेश के चलते फंड को नुकसान हुआ है। ऐसे में श्रम मंत्रालय को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए पीएफ के ब्याज दर पर फिर से विचार करने की सलाह दी जाती है।