एसबीआई अलर्ट: दान देने वालों के बैंक अकाउंट हो सकते हैं खाली
एसबीआई ने ट्वीट कर कहा है कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए डोनेशन दे रहे हैं तो कुछ सावधानी को बरतें।
बाढ़ पीड़ितों की ओर जहां बीमा कंपनियां हाथ बढ़ा रही हैं वहीं बैंक भी उनके लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं। बाढ़ की वजह से जहां सैंकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं करोड़ों की संपत्ति बर्बाद हो चुकी है। बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए सरकार ने आम लोगों को आगे आने को कहा है। अगर आप भी बाढ़ पीड़ित लोगों की मदद करना चाहते हैं तो आसानी से उन लोगों की मदद कर सकते हैं। लेकिन आर्थिक मदद (दान) पहुंचाना कहीं आपको महंगा न पड़ जाए।
इसलिए देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए अलर्ट जारी किया है। एसबीआई ने ट्वीट कर कहा है कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए डोनेशन दे रहे हैं तो कुछ सावधानी को बरतें, नहीं तो आप धोखाधड़ी के शिकार हो सकते हैं और आपका बैंक खाता खाली हो सकता है।
ऐसे बरतें सावधानी
एसबीआई ने अपने ट्वीट में कहा है कि अगर आप बाढ़ पीड़ितों की मदद करना चाहते हैं, तो सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आप ऑफिशियल रिलीफ फंड वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPAs) के जरिए ही डोनेशन करें। डोनेशन के लिए आए रिक्वेस्ट को वेरीफाई करें। वेरीफाई करने के बाद ही ऑफिशियल वर्चुअल पेमेंट एड्रेस पर मनी ट्रांसफर करें।
एसबीआई के अनुसार जिस खाते में पैसा ट्रांसफर कर रहे हैं, उसकी भी जांच करें और उसी अकाउंट में ही पैसा ट्रांसफर करें।
टैक्स में भी मिलेगी छूट
आपको बता दें कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80G के तहत आप अगर बाढ़ पीड़ितों के लिए डोनेशन देते हैं तो आपको टैक्स में 100 फीसदी टैक्स छूट मिलती है।
एसबीआई अपने ग्राहकों को होम लोन से सबंधित दे रहा यह सुविधा
कभी भी ऐसा न करें
- किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक न करें जोकि किसी अज्ञात स्रोत से ई-मेल के माध्यम से आया है। इसमें दुर्भावनापूर्ण कोड हो सकता है या यह एक 'फिशिंग अटैक' हो सकता है।
- एक पॉप-अप विंडों के रूप में आने वाले किसी पेज पर कोई भी जानकारी न दें।
- कभी भी फोन या ईमेल पर अवांछित अनुरोध के जवाब में अपना पासवर्ड न दें।
- हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि पासवर्ड, पिन, टिन आदि की जानकारी पूरी तरह से गोपनीय है और यहां तक कि बैंक के कर्मचारियों को भी ज्ञात नहीं होती है। इसलिए आप पूछे जाने पर भी इस तरह की कोई भी जानकारी का खुलासा न करें।
- हमेशा एड्रेस बार में सही यूआरएल टाइप करके साइट पर लॉगइन करें।
- केवल प्रमाणित लॉगिन पेज पर ही यूजर आईडी और पासवर्ड एंटर करें।
- अपना यूजर आईडी और पासवर्ड देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि ईमेल पेज का URL 'https://' text के साथ शुरू होता है। 'S' से तात्पर्य है 'सुरक्षित' जो इस बात का संकेत देता है कि वेब पेज में एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल किया गया है।
- हमेशा ब्राउजर और वेरीसाइन प्रमाण पत्र के दाहिनी ओर सबसे नीचे स्थित लॉक मार्क को खोजें।