ऑटो सेक्टर में मंदी के कारण कैंपस हायरिंग पर लगा ब्रेक
ऑटो कंपनियां कैंपस हायरिंग पर ब्रेक लगा रही हैं, इस साल इसे घटाकर आधा या उससे भी कम कर दिया गया है।
ऑटो कंपनियां कैंपस हायरिंग पर ब्रेक लगा रही हैं, इस साल इसे घटाकर आधा या उससे भी कम कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी और अशोक लेलैंड कैंपस से फ्रेशर्स के एंट्री में कटौती कर रहे हैं, यहां तक कि सभी स्तरों पर नए लोगों की हायरिंग पर रोक लगा दी गई है।
आपको बता दें कि देश के सबसे बड़े यूटिलिटी वाहन और ट्रैक्टर देने वाले महिंद्रा में, एंट्री-लेवल कैंपस हायरिंग को लगभग आधा कर दिया जाएगा। मुख्य सचिव अधिकारी राजेश्वर त्रिपाठी ने कहा कि इस साल 400 की जगह 200 तक की हायरिंग होगी। उन्होंने कहा कि अब नए सिरे से काम करने और उत्पादकता बढ़ाने का दृष्टिकोण है।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में वाहनों की बिक्री 19.7% की दर से सबसे अधिक 19.7% रही। तो वहीं यात्री वाहन खंड में, गिरावट लगभग 31% थी। एसोसिएट डायरेक्टर, इंडस्ट्रियल लाइसेंसिंग एंड प्लेसमेंट, मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के हरीश कुमार के अनुसार ऑटो कंपनियां कम हायर कर रही हैं।
मांग में गिरावट को देखते हुए, वाहन निर्माताओं ने पिछले तीन महीनों में उत्पादन, वाहन विनिर्माण, घटकों और वितरण खंडों में लगभग 3,50,000 नौकरियों को प्रभावित किया है। प्रभावित कर्मचारियों में डीलर्स में 2,30,000, ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री में 100,000 और अन्य 15,000 कैजुअल और अस्थायी कर्मचारी शामिल हैं।
उद्योग के अनुमानों के अनुसार, मंदी के बने रहने पर ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग में एक लाख अतिरिक्त नौकरियां प्रभावित होती हैं। बता दें कि ऑटोमोटिव उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 37 मिलियन लोगों को रोजगार देता है।
इसके अलावा देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी में 3,000 से अधिक अस्थाई कर्मचारियों की नौकरी चली गयी है। मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा कि वाहन उद्योग में नरमी को देखते हुए अस्थायी कर्मचारियों के अनुबंध को नया नहीं किया गया है जबकि स्थायी कर्मचारियों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा है।