जीएसटी संग्रह में बिहार के अलावा ये राज्य रहे आगे
वित्त वर्ष (2019-20) के पहले चार महीनों में गूड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के संग्रह में ओडिशा, बिहार, यूपी और मध्य प्रदेश जैसे पिछड़े राज्यों ने गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडू जैसे औद्योगिक रूप से विकसित राज्यों के मुकाबले में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इस दौरान देश का कुल जीएसटी संग्रह 9 प्रतिशत से बढ़कर 3.56 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जीएसटी संग्रह में दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे विकसित राज्य पिछड़ गए हैं। जबकि पूर्वोत्तर के गरीब राज्यों ने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया है।
ये हैं बीमारू राज्य
आपको बता दें कि यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों को कभी 'बीमारू' (BIMARU) राज्य कहा जाता था। इन पिछड़े राज्यों में जनसंख्या काफी ज्यादा है, इस कारण से तमाम वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग भी काफी अधिक होता है। ओडिशा के जीएसटी संग्रह में सबसे अधिक 20.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके बाद उत्तराखंड के जीएसटी संग्रह में 19.9 प्रतिशत, बिहार में 17.8 प्रतिशत, एमपी में 14.6 प्रतिशत, असम में 14.1 प्रतिशत और यूपी में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है।
पश्चिम बंगाल में कम हुआ है संग्रह
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिर्पोट के अनुसार पिछड़े राज्यों में सिर्फ पश्चिम बंगाल ही ऐसा है जिसने इस वित्त वर्ष के अप्रैल से जुलाई के दौरान जीएसटी संग्रह में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। पश्चिम बंगाल के जीएसटी संग्रह में सिर्फ 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिल्ली को इस मामले में पिछड़ा माना जा सकता है, जिसके कलेक्शन में 2 प्रतिशत की कमी आई है। एक वर्ष पूर्व के 13,000 करोड़ रुपये के मुकाबले इस वर्ष चार महीने में दिल्ली का जीएसटी कलेक्शन घटकर 12,700 करोड़ रुपये ही हुआ।
पूर्वोत्तर राज्य
तो वहीं जीएसटी कलेक्शन के मामले में पूर्वोत्तर के राज्यों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। जीएसटी संग्रह नागालैंड में 39 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 35 प्रतिशत और सिक्किम में 32 प्रतिशत की बढ़त हुई है। हालांकि आंकड़ों के अनुसार बात सही है तो कुल मिलाकर इन राज्यों का संग्रह कुछ 100 करोड़ रुपये ही है।
एक्सपर्ट की राय
एक्सपर्ट की रिर्पोट के अनुसार इस बात का अंदाजा पूर्व में ही था कि बाद में धीरे-धीरे इन राज्यों में जीएसटी कलेक्शन में वृद्धि होगी क्योकि इन राज्यों में उपभोग अधिक होता है। फिलहाल सरकार की चिंता का विषय अब यह है कि उन विकसित राज्यों की भरपाई केंद्र को करनी होगी, जहां कर संग्रह कम हो रहा है।