59% घटा दालों का निर्यात, जानें क्या है वजह
फाइनेंशियल ईयर 2020 के पहले कुछ महीनों यानी अप्रैल-मई में दालों का निर्यात गिरकर 28,962 टन रह गया। यह पिछले वर्ष की समान अवधि से 59 प्रतिशत कम है।
फाइनेंशियल ईयर 2020 के पहले कुछ महीनों यानी अप्रैल-मई में दालों का निर्यात गिरकर 28,962 टन रह गया। यह पिछले वर्ष की समान अवधि से 59 प्रतिशत कम है। आपको बता दें कि भारत ने पिछले वित्त वर्ष में कुल 2.7 लाख टन का निर्यात किया था, जो 2017-18 के 1.8 लाख टन के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा था।
तो वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस साल दाल का उत्पादन 2.32 करोड़ टन हुआ है। यह पिछले वर्ष के 2.53 करोड़ के 8.7 प्रतिशत से कम है। अधिकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में दाल की खेती करने वाले क्षेत्रों में सूखे की वजह से पैदावार में कमी आई है। दाल की पैदावार कम होने की वजह से घरेलू बाजार में भाव काफी ज्यादा हो गया है।
बता दें कि तूर यानी अरहर दाल की थोक कीमत 81-87 रुपये किलोग्राम है, जो इसी साल फरवरी में 72-77 रुपये किलो बिक रही थी। पिछले साल काफी स्टॉक होने की वजह से सरकार ने दाल का आयात नहीं किया था। हालांकि, इस साल 4 लाख टन दाल पकाने की मंजूरी दी गई है।
तो वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दाल की कीमतें कम बनी हुई हैं। इस साल अप्रैल-मई के दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दाल का भाव 63,900 रुपये टन था। वहीं, पिछले साल औसत भाव 68 हजार रुपये प्रति टन था। इस स्थिति में कारोबारियों के लिए घरेलू बाजार से दाल खरीदना ज्यादा फायदेमंद था। हालांकि, बासमती एक्स 16 प्रति बढ़ा है और कारोबारियों को इसकी अच्छी कीमत भी मिल रही है।
नोडल एजेंसियों के अनुसार इस वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में बासमती का निर्यात 8.64 लाख टन हुआ था, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 7.45 लाख टन था। इस दौरान ज्यादा मांग के साथ भाव में बेहतर थे। तो वहीं खाड़ी देशों में बासमती की अच्छी मांग है। इस साल कारोबारियों को बासमती से अच्छा मुनाफा मिलने की उम्मीद है। पिछले साल भरत ने 45 लाख टन बासमती का निर्यात किया था। तब इसकी कीमत करीब 30 हजार करोड़ रुपये के आसपास थी।