बिजली का बिल भी नहीं दे पा रही बीएसएनएल, दिवालिया जैसी हो गई है कंपनी
नई दिल्ली। बीएसएनएल की स्थिति दिवालिया कंपनी जैसी होती जा रही है। पिछले काफी समय से यह सरकारी कंपनी अपने कर्मचारियों को वेतन देने में दिक्कत महसूस कर रही थी। लेकिन अब वित्तीय स्थिति और खराब हो गई है। अपनी जरूरी सेवाएं चलाने के लिए वह बिजली का बिल तक नहीं भर पा रही है। इसके चलते कंपनी के दफ्तरों सहित कई मोबइल टॉवरों के बिलली के कनेक्शन तक काट दिए गए हैं। यह हाल बीएसएनएल का पूरे देश में है। जानकारी के अनुसार बीएसएनएल के करीब 1100 मोबाइल टावर और 500 से ज्यादा एक्सचेंज का बिजली का कनेक्शन कट जाने से ये काम नहीं कर रहे हैं।
विभाग के ये हैं आंकड़ें
दूरसंचार विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, 10 जुलाई 2019 तक बिजली का बिल नहीं जमा होने के चलते देशभर में बीएसएनएल के 524 एक्सचेंज और 1,083 मोबाइल टावर का बिजली कनेक्शन कट गया है। दिया गया है। इसके चलते यह सब ठप हो गए हैं और संबंधित जगहों पर लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश में स्थिति सबसे ज्यादा खराब
वैसे तो पूरे देश में ही बीएसएनएल की स्थिति खराब है, लेकिन उत्तर प्रदेश में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 391 मोबाइल टॉवरों की बिजली बिल जमा न होने के चलते कटी है। वहीं महाराष्ट्र में 178 एक्सचेंजों का बिजली कनेक्शन काटा जा चुका है। जिन जगहों पर मोबाइल टावर और टेलीफोन एक्सचेंज बिना बिजली के ठप हो जाते हैं, वहां के आसपास के लोग टेलीफोन सेवा और मोबाइल सेवा का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं, जिससे उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
लैंड लाइन एक्सचेंज भी हैं ठप
जानकारी के अनुसार सिर्फ मोबाइल ही लैंडलाइन एक्सचेंंज भी ठप पड़े हुए है। इन एक्सचेंजों की बिजली भी जमा न होने के चलते कनेक्शन काट दिया गया है। ऐसे एक्सचेंजों की संख्या कर्नाटक में 156, उत्तर प्रदेश में 132, पश्चिम बंगाल में 20 और तेलंगाना तथा हरियाणा में 13-13 टेलीफोन एक्सचेंज ठप हैं।
फिर भी बाजार में हिस्सेदारी बढ़ी
इन खराब हालात के बाद भी बीएसएनएल की पिछले 2 साल में बाजार में हिस्सेदारी बढ़ी है। कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 31 मार्च 2017 को 9.63 प्रतिशत थी, जो 31 मार्च 2018 को बढ़कर 10.26 फीसदी हो गई थी। इसके बाद 31 मार्च 2019 को बढ़कर 10.72 फीसदी हो गई है।
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