देश का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 21 जून को समाप्त सप्ताह में 4.215 अरब डॉलर बढ़कर अब तक के सबसे उच्चतम स्तर 426.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
नई दिल्ली: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 21 जून को समाप्त सप्ताह में 4.215 अरब डॉलर बढ़कर अब तक के सबसे उच्चतम स्तर 426.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। बता दें कि इससे पहले का रिकॉर्ड 13 अप्रैल 2018 को समाप्त का था। उस समय यह 426.028 अरब डॉलर के स्तर पर था। पिछले समीक्षाधीन सप्ताह में भंडार 1.358 अरब डॉलर गिरकर 422.2 अरब डॉलर पर था।
देश का सोना भंडार 22.958 अरब डॉलर के पूर्वस्तर पर
हालांकि आंकड़ों के मुताबिक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में वृद्धि के चलते मुद्रा भंडार में तेजी दर्ज की गई है। यह विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 21 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 4.202 अरब डॉलर बढ़कर 398.649 अरब डॉलर हो गई। इस दौरान देश का सोना भंडार 22.958 अरब डॉलर के पूर्वस्तर पर रहा। वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से विशेष आहरण अधिकार 42 लाख डॉलर बढ़कर 1.453 अरब डॉलर पर पहुंच गया, वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के पास देश का भंडार 96 लाख डॉलर बढ़कर 3.354 अरब डॉलर हो गया।
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ऐसे गिरना शुरू हुआ रुपया
जानकारी दें कि देश जब आजाद हुआ था तब भारत पर कोई कर्ज नहीं था। ब्रिटिश सरकार का शासन था। ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी यहां कारोबार करती थी। भारत ब्रिटेन का उपनिवेश था लिहाजा उस वक्त लेनदेन में रुपए और डॉलर का इस्तेमाल होता था और दोनों की वैल्यू बराबर थी। परंतु आजादी के बाद भारत एक अलग देश बना। भारत को इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए फंड की जरूरत थी। और तो बता दें कि इस फंड का इंतजाम कर्ज लेकर ही हो सकता था। इस बात से भी अवगत करा दें कि तब के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1951 में जब पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की तब विदेश से डॉलर में कर्ज लिया गया। वहीं अक्टूबर 2013 में एक आरटीआई के जवाब में रिजर्व बैंक ने बताया था कि 18 सितंबर 1949 तक रुपए और पाउंड की वैल्यू बराबर थी। लेकिन जैसे जैसे पाउंड की वैल्यू घटती गई, रुपए की भी वैल्यू खुद ही घट गई।
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