आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरा होने से पहले दिया इस्तीफा
भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को लगा एक और बड़ा झटका।
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को लगा एक और बड़ा झटका। जी हां केंद्रीय बैंक के सबसे युवा डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपन पद से इस्तीफा दे दिया है। करीब 7 महीने के भीतर दूसरी बार है जब आरबीआई के किसी उच्च अधिकारी ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपना पद छोड़ दिया है।हालांकि, अभी उनके इस्तीफे के पीछे की वजहों का पता नहीं लग पाया है। इससे पहले आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर में निजी कारण बताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
23 जनवरी 2017 को आरबीआई में शामिल किया गया था विरल आचार्य को
बता दें कि विरल आचार्य को तीन साल के कार्यकाल के लिए 23 जनवरी 2017 को आरबीआई में शामिल किया गया था। इस हिसाब से वह करीब 30 महीने केंद्रीय बैंक के लिए अपने पद पर कार्यरत रहे। जानकारी के मुताबिक विरल आचार्य अब न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के सेटर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में बतौर प्रोफेसर ज्वाइन करेंगे। आईआईटी मुंबई के छात्र रहे आचार्य ने 1995 में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में स्नातक और न्यूयार्क विश्वविद्यालय से 2001 में वित्त में पीएचडी की है। वर्ष 2001 से 2008 तक आचार्य लंदन बिजनेस स्कूल में रहे।
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करीब छह महीने पहले ही अपने पद को छोड़ दिया
गौर करने वाली बात यह है कि डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरा होने के करीब छह महीने पहले ही अपने पद को छोड़ दिया है। विरल आचार्य आरबीआई के उन बड़े अधिकारियों में शामिल थे जिन्हें उर्जित पटेल की टीम का हिस्सा माना जाता था।
इससे पहले उर्जित पटेल ने भी दिया था इस्तीफा
आपको इस बात की भी जानकारी दें कि इससे पहले दिसंबर 2018 में उर्जित पटेल ने बतौर आरबीआई गवर्नर कार्यकाल पूरा होने से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उर्जित पटेल ने अपने बयान में कहा कि उनकी कुछ निजी कारणों से वे इस्तीफा दे रहे हैं। बता दें कि उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद शक्तिकांत दास को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया गया। गौर करने वाली बात यह हैं कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भारतीय इकोनॉमी के लिहाज से उर्जित पटेल का तीसरा बड़ा इस्तीफा था। इससे पहले अरविंद सुब्रमण्यम ने जुलाई 2018 में व्यक्तिगत कारणों से मुख्य आर्थिक सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं अगर नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया की बात करें तो उन्होंने तो अगस्त 2017 में ही पद छोड़ दिया था।
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