एचडीएफसी बैंक पर 1 करोड़ का जुर्माना, जानिए आखिर क्या है वजह
देश के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगा।
नई दिल्ली: देश के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगा। जी हां जानकारी दें कि मंगलवार को रिजर्व बैंक ने देश के निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया। यह जुर्माना धोखाधड़ी के बारे में सूचना नहीं देने और अन्य निर्देशों का अनुपालन नहीं करने को लेकर लगाया गया है।
इतना ही नहीं आरबीआई ने कहा कि यह जुर्माना कुछ आयातकों द्वारा विदेशी मुद्रा भेजने के लिये जाली बिल प्रविष्टियां जमा करने से जुड़ा है। केंद्रीय बैंक ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि इस संदर्भ में जांच से आरबीआई के अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) / मनी लांड्रिंग निरोधक (एएमएल) तथा धोखाधड़ी के बारे में सूचना देने को लेकर नियमों का उल्लंघन पाया गया।
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नियम पालन न करने पर पहले भी कई बैंकों पर जुर्माना लगा चुका
आपको इस बात की जानकारी दें कि इस संदर्भ में एचडीएफसी बैंक को नोटिस जारी किया गया। और पूछा गया कि निर्देशों का पालन नहीं करने को लेकर क्यों नहीं उस पर मौद्रिक जुर्माना लगाया जाए। शीर्ष बैंक के अनुसार एचडीएफसी बैंक के जवाब पर विचार करने के बाद पिछले बृहस्पतिवार को जुर्माना लगाया गया। हालांकि इस बीच, एचडीएफसी बैंक ने एक बयान में कहा हैं कि उसने अपनी आतंरिक नियंत्रण व्यवस्था को मजबूत करने के लिये जरूरी कदम उठाये हैं ताकि ऐसी चीजें दोबारा नहीं हो। रिजर्व बैंक इस तरह के नियम पालन न करने पर पहले भी कई बैंकों पर जुर्माना लगा चुका है।
धोखाधड़ी में इजाफा को देखते हुए रिजर्व बैंक की बैंकों पर सख्ती
बीते कुछ महीनों में दरअसल, धोखाधड़ी मामले को देखते हुए रिजर्व बैंक की बैंकों पर सख्ती बढ़ती जा रही है। आरबीआई बैंक के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों से जुड़ी धोखाधड़ी के 71,500 करोड़ रुपये के 6,800 से अधिक मामले रिपोर्ट किए गए। जानकारी दें कि इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में 41,167.03 करोड़ रुपये के ऐसे 5,916 मामले सामने आए थे।
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आरबीआई के आंकड़े कहते हैं कि पिछले 11 वित्तीय वर्षों में 2.05 लाख करोड़ रुपये की भारी धनराशि की बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए। जबकि साल 2008-09 में 1,860.09 करोड़ रुपये के 4,372 मामले सामने आए। वहीं इसके बाद 2009-10 में 1,998.94 करोड़ रुपये के 4,669 मामले दर्ज किए गए। बता दें कि वित्त वर्ष 2015-16 में 18,698.82 करोड़ रुपये के 4,693 मामले सामने आए जबकि 2016-17 में 23,933.85 करोड़ रुपये मूल्य के 5,076 मामले सामने आए।