चुपके से बदलेगा इनकम टैक्स कानून, जानिए क्या होगा
नई दिल्ली। सरकार इनकम टैक्स देने वालों पर करों का बोझ कम करने और अनुपालन को बढ़ाने के लिए चुपके से बड़ा आयकर सुधार कर सकती है। जानकारी के अनुसार मौजूदा टैक्स कानून को दुरुस्त करने का काम पूरा हो चुका है, लेकिन आम बजट 2019-20 से पहले जनता की अपेक्षाओं को लेकर इसे रोक लिया गया है। नए कानून में जहां नौकरीपेशा लोगों पर टैक्स का बोझ कम हो सकता है, वहीं रिटर्न भरना आसान हो जाएगा।
अधिकारी ने दी जानकारी
एक अधिकारी ने बताया, "यह (नया प्रत्यक्ष कर कानून) लगभग पूरा हो चुका है। इसे बजट के बाद लाया जाएगा, क्योंकि हमारा ध्यान वित्त विधेयक पर केंद्रित है।" हालांकि अधिकारी ने इस संबंध कोई ब्योरा नहीं दिया। उन्होंने कहा, "अगर मसौदा अभी आता तो अनावश्यक अपेक्षाएं पैदा हो जाती।"
नौकरीपेशा पर कम होगा टैक्स को बोझ
अधिकारी ने संकेत दिया कि नए कानून में न सिर्फ नौकरीपेशा लोगों पर टैक्स का भार कम किया जाएगा, बल्कि रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया भी सरल बनाई जाएगी। इसके फलस्वरूप करदाताओं की तादाद में वृद्धि होगी।
मोदी ने पुराने टैक्स कानून को बदलने की पहल की थी
दशकों पुराने आयकर अधिनियम की जगह आने वाले नए कानून का मसौदा करने करने के लिए टास्क फोर्स को उसकी रिपोर्ट सौंपने के लिए 26 मई को दो महीने का और समय दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब देखा कि मौजूदा कानून 50 साल पुराना है और इसे समकालीन बनाने के लिए दोबारा इसका मसौदा बनाने की जरूरत है तो पहले नवंबर 2017 में समिति का गठन किया।
ये हैं टास्क फोर्स के सदस्य
सीबीडीटी के सदस्य अखिलेश रंजन टास्क फोर्स के अध्यक्ष हैं। इसके सदस्यों में गिरीश आहूजा (चार्टर्ड अकाउंटेंट), राजीव मेमानी (ईवाई इंडिया के चेयरमैन व रीजनल मैनेजिंग पार्टनर), मुकेश पटेल (प्रैक्टिसिंग टैक्स एडवोकेट), मानसी केडिया (कंसल्टेंट आईसीआरआईईआर) और जी. सी. श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारी व अधिवक्ता) शामिल हैं।
टैक्स कानून बदलने का यह तीसरा प्रयास
ग्रांट थार्नटन एडवायजरी के डायरेक्टर रियाज थिंग्ना ने कहा, "आयकर कानून का दोबारा मसौदा तैयार करने का यह तीसरा प्रयास है। अगर नए कानून में विभिन्न न्यायाधिकार संबंधी अदालतों के निर्धारित कानून को शामिल किया जाता है तो यह पूर्ण कानून होगा। इससे मुकदमों में काफी कमी आएगी।" पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने भी प्रत्यक्ष कर संहिता लाकर कर कानून में बदलाव लाने का प्रयास किया था, लेकिन यह नहीं हो सका।