बजट में सरकारी बैंकों को बड़ी राहत दे सकती है मोदी सरकार
मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के बजट पेशी में बैंकों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठा सकती है।
नई दिल्ली: मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के बजट पेशी में बैंकों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठा सकती है। जी हां वित्त मंत्रालय सरकारी बैंकों के पूंजी आधार का मूल्यांकन कर रहा है। और तो उन्हें नियम के तहत न्यूनतम पूंजी की शर्त को पूरा करने में मदद के लिए चालू वित्त वर्ष के आम बजट में 30,000 करोड़ रुपये उपलब्ध करा सकता है। बता दें कि संसद के बजट सत्र की शुरुआत आज यानी 17 जून से हो चुकी है। आपको इस बात की भी जानकारी दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को नई सरकार का पहला बजट पेश करेंगी।
बैंकों की आर्थिक वृद्धि दर घटने की वजह से मदद जरूरी
ये भी बता दें कि आर्थिक वृद्धि नरम हो कर 2018-19 में 6.8 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं बजट में वृद्धि को तेज करने की चुनौती है। इसमें बैंकिंग क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान होगा। सरकारी बैंकों को निजी और व्यावसायिक काम के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होगी। वहीं ऋण की मांग में तेजी शु्रू हुई है। इसके अलावा आरबीआई के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे के तहत 5 कमजोर बैंकों को बासेल-3 नियमों के तहत जरूरी पूंजी बनाए रखने की भी जरूरत होगी।
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पिछले हफ्ते सीतारमण ने वित्तीय क्षेत्र और पूंजी बाजार के प्रमुख लोगों से बजट पूर्व चर्चा की है। इनमें रिजर्व बैंक के उप गवर्नर एन.एस. विश्वनाथन भी थे। वहीं एक अधिकारी के मुताबिक, इस बैठक में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए एक समर्पित नकदी व्यवस्था, छोटी बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों की समीक्षा और बैंकों फंसे कर्जों या एनपीए पर चर्चा हुई। जानकारी दें कि वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इस बैठक में सार्वजनिक बैंकों में पूंजी प्रवाह और एक अलग बॉन्ड एक्सचेंज बनाने जैसे मसलों पर भी चर्चा हुई है।
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सरकार ने 5,042 करोड़ रुपये की पूंजी नए बैंक में डाली
हालांकि सूत्रों ने बताया कि अगर सरकार बैंक ऑफ बड़ौदा की तरह कुछ अन्य बैंकों के एकीकरण पर भी विचार करती है तो उसके लिए भी अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होगी। गौरतलब है कि बीओबी में देना बैंक और विजया बैंक के विलय के कारण अतिरिक्त खर्च की पूर्ति के लिए सरकार ने 5,042 करोड़ रुपये की पूंजी नए बैंक में डाली थी। सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 1,06,000 करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध कराई थी।