डिजिटल कंपनियों पर टैक्स लगाने की तैयारी में वित्त मंत्री
गूगल (Google) , फेसबुक (Facebook) , नेटफ्लिक्स (NetFlix) जैसी डिजिटल कंपनियों (Digital companies) को टैक्स (Tax) के दायरे में लाने की तैयारी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala
नई दिल्ली: गूगल (Google) , फेसबुक (Facebook) , नेटफ्लिक्स (NetFlix) जैसी डिजिटल कंपनियों (Digital companies) को टैक्स (Tax) के दायरे में लाने की तैयारी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) हैं। बता दें कि 8-9 जून को जापान में होने वाली G20 समिट में निर्मला सीतारमण इन कंपनियों पर टैक्स (TAX) लगाने का प्रस्ताव पेश करेंगी। वित्त मंत्री के तौर पर यह सीतारमण की पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक (International meeting) होगी, जिसमें वे भारत के प्रस्ताव के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगी।
जानकारी के मुताबिक इंटरनेट कंपनियां (Internet companies) कम टैक्स वाले न्याय क्षेत्रों से ऑपरेट करती हैं, लेकिन कई अन्य जगहों में भी उनका व्यापार फैला रहता है। वहां वे मौजूद हुए बिना करोड़ों रुपए कमाती हैं और टैक्स (Tax) बचाती हैं। भारत का मानना है कि इन इंटरनेट कंपनियों (Internet companies) के यूजर्स (User) जिन देशों में है, वहां के न्यायक्षेत्र के हिसाब से इन कंपनियों पर टैक्स (Tax)लगाया जाना चाहिए।
पिछले साल हुई अच्छी कमाई
बता दें कि जून, 2016 में भारत ने देश में विज्ञापनों से कमाई करने वाली विदेशी डिजिटल कंपनियों (Foreign digital companies) पर 6 फीसदी टैक्स (Tax)लगाया था। 2018-19 में सरकार ने इस टैक्स से 1000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की कमाई की। ठीक ऐसे ही इटली ने भी डिजिटल सर्विसेज (Digital services) पर 3 फीसदी टैक्स लगाया था। फ्रांस ने भी डिजिटल कंपनियों को ऐड से होने वाली कमाई पर 3 फीसदी टैक्स (Tax)लगाने का प्रस्ताव पेश किया है।
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अमेरिका भारत के विपरीत प्रस्ताव
हालांकि इस बात की भी जानकारी दें कि ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक में अमेरिका भारत के विपरीत प्रस्ताव (Opposite offer) रखेगा। अमेरिका का प्रस्ताव है कि इंटरनेट कंपनियों (Internet companies) को सिर्फ नॉन-रुटीन प्रॉफिट ही दूसरे देशों के अधिकार क्षेत्र के 9हिसाब से बांटना चाहना। नॉन-रुटीन प्रॉफिट (Non-Routine Profit) इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी (Intellectual Property) से होने वाला प्रॉफिट है। अमेरिकी प्रस्ताव विकासशील देशों (American proposal developing countries) के लिए काफी पेचीदी है। भारत का प्रस्ताव काफी सरल है। इस प्रस्ताव पर कई देश अमल करना चाहेंगे।