खुदरा महंगाई दर में उछाल, 6 महीने के उच्चतम स्तर पर
आम आदमी एक बार फिर से महंगाई (Inflation) की चपेट में आ गयी। लोगों को अप्रैल में खुदरा महंगाई (Retail inflation) ने तगड़ा झटका दिया।
नई दिल्ली: आम आदमी एक बार फिर से महंगाई (Inflation) की चपेट में आ गयी। लोगों को अप्रैल में खुदरा महंगाई (Retail inflation) ने तगड़ा झटका दिया। जी हां सब्जियों (vegetables), मीट (Meat), मछली (Fish) और अंडों (egg) की कीमतें (Price) बढ़ने से खुदरा महंगाई 2.92 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जो 6 महीने उच्चतम स्तर (highest level) है। सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (Central statistics office) द्वारा जारी महंगाई के आंकड़ों में यह बात सामने आई है। वहीं पिछले महीने यानी मार्च, 2019 में यह आंकड़ा (Figure) 2.86 फीसदी रहा था और अप्रैल, 2018 में महंगाई 4.58 फीसदी रही थी।
खाद्य पदार्थों की महंगाई में इजाफा
जानकारी दें कि खुदरा महंगाई (Retail inflation) बढ़ने की मुख्य फूड बास्केट (Food baskets) की महंगाई रही। जो अप्रैल में बढ़कर 1.1 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई, जबकि मार्च में यह आंकड़ा 0.3 फीसदी रहा था। वहीं सब्जियों (vegetables)की बात करें तो कीमतों में 2.87 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई, जबकि मार्च, 2019 में कीमतों में कमी (Price reduction) आई थी। हालांकि, अप्रैल में फलों की कीमतों (Fruit prices) में एक साल पहले समान महीने की तुलना में कमी दर्ज की गई। फ्यूल और लाइट कैटेगरी (Light category) की बात करें तो अप्रैल में इस सेगमेंट (Segment) में 2.56 फीसदी महंगाई बढ़ी (Inflation rises) , जबकि पिछले महीने 2.42 फीसदी की बढ़त रही थी।
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आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक जून में होगी
इस बात की जानकारी दें कि रिजर्व बैंक (Reserve Bank) (RBI) प्रमुख नीतिगत दरें (Policy rates) तय करते समय खुदरा महंगाई (Retail inflation) पर विचार करता है। आरबीआई गवर्नर (RBI governor) की अगुआई वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary policy committee) की जून की शुरुआत में होने वाली मीटिंग में मॉनिटरी पॉलिसी पर फैसला लिया जाएगा। सरकार ने आरबीआई (RBI) को खुदरा महंगाई (Retail inflation) को 4 फीसदी के आसपास बनाए रखने का निर्देश दिया है।
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महंगाई दरें आगे और बढ़ने की आशंका
हालांकि यही नहीं, आने वाले महीनों में महंगाई दर (Inflation rate) और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। क्योंकि इसका मुख्य कारण यह हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार (International market) में कच्चे तेल की कीमतें (Crude oil prices) बढ़ती जा रही हैं और ऐसा माना जा रहा है कि सरकार (Government) चुनावों को देखते हुए देश में पेट्रोल-डीजल के दाम (Price of petrol and diesel) नहीं बढ़ रहे हैं। यानी चुनावों के बाद इनकी कीमतों में बड़ा इजाफा हो सकता है। ईंधन की कीमतों (Fuel prices) के बढ़ने खाद्य वस्तुओं की कीमतें (Prices of food items) और बढ़ जाएंगी।