म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव, जानिए आप पर कैसे पड़ेगा असर
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नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को म्यूचुअल फंड उद्योग के लिये कमीशन की समीक्षा की तथा उसमें संशोधन किये। जी हां मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में बड़े बदलाव किए हैं। इसके साथ ही डिस्क्लोजर नियमों में भी बदलाव किया गया है। हालांकि जानकारी दें कि रेग्युलेटर ने अक्टूबर 2018 में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों से सभी योजनाओं में निवेश में बने रहने तक कमीशन लेने के मॉडल (ट्रेल मॉडल) और एसआईपी के जरिए होने वाले निवेश में अग्रिम कमीशन लेने को कहा था।
आपको बता दें कि Mutual Fund नए निवेशकों के लिए सेबी ने एक सर्कुलर में कहा कि निवेश में बने रहने तक लगने वाले कमीशन का अग्रिम भुगतान प्रति स्कीम 3000 रुपये तक मंथली एसआईपी के उन निवेशकों के लिए हो सकता है जो म्यूचुअल फंड योजनाओं में पहली बार निवेश कर रहे हैं। कमीशन का भुगतान एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के बही-खातों से किया जाएगा। केवल नए निवेशक द्वारा खरीदे जाने वाला पहले एसआईपी ही अग्रिम भुगतान के लिये पात्र होंगे।
प्रशासनिक और प्रबंधन शुल्क शामिल
अलग-अलग तारीखों पर खरीदे गए कई एसआईपी के मामले में जिस स्कीम के लिए ईएमआई यानी किस्त पहले शुरू होगी, उसे ही अग्रिम भुगतान के लिये चुना जाएगा। सेबी ने कहा कि आयोग टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) का आकलन प्रत्येक योजना में नियमित और 'डायरेक्ट प्लान' के बीच अंतर के आधार पर करेगा। टीईआर स्कीम के कॉर्पस का एक तय फीसदी है जो म्यूचूअल फंड हाउसेज निवेश के लिए चार्ज करते हैं। इसमें प्रशासनिक और प्रबंधन शुल्क शामिल हैं।
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पहले से निवेशकों को नोटिस देने की जरूरत नहीं
हालांकि संपत्ति प्रबंधन कंपनियों को सभी म्यूचुअल फंड योजनाओं के टीईआर की घोषणा दैनिक आधार पर अपनी वेबसाइट पर करनी होगी। इसमें बुनियादी ढांचा डेट फंड से जुड़ी योजनाएं शामिल नहीं हैं। इसके साथ ही अगर एसेट अंडर मैनेजमेंट या अन्य नियामकीय जरूरतों में बदलाव के कारण टीईआर घटता या बढ़ता है तो उसके बारे में पहले से निवेशकों को नोटिस देने की जरूरत नहीं है।
योजनाएं एक साल से कम अवधि के लिए
वहीं इसके अलावा सेबी ने डिस्क्लोजर नियमों में संशोधन किया है। इसके तहत ओवरनाइट फंड, लिक्विड फंड, अल्ट्रा शार्ट ड्यूरेशन फंड, मनी मार्केट फंड के प्रदर्शन के बारे में खुलासा नियमों से छूट दी गई है। लेकिन इसके लिये शर्त है कि ये योजनाएं एक साल से कम अवधि के लिए हों।