Samsung 5 अप्रैल को लांच करेगा 5G फोन, जानें 1G का 5G का सफर
सियोल। सैमसंग (samsung) ने गुरुवार को कहा कि वह अपना पहला 5G स्मार्टफोन अप्रैल के पहले सप्ताह में दक्षिण कोरिया में लांच करेगी। कंपनी के अनुसार, यह दुनिया में अगली पीढ़ी के नेटवर्क क्षमता से युक्त पहला मोबाइल फोन होगा। समाचार एजेंसी योनहैप की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरियाई प्रौद्योगिकी दिग्गज कंपनी सैमसंग ने कहा कि बिना किसी पूर्व ऑर्डर कार्यक्रम के गैलेक्सी एस-10 का 5जी मॉडल 5 अप्रैल से बिक्री के लिए उपलब्ध होगा। इस हैंडसेट को परीक्षण में खरा पाया गया है।
कीमत का खुलासा नहीं
सैमसंग (samsung) ने हालांकि फोन की कीमत के बारे में खुलासा नहीं किया, लेकिन उद्योग के सूत्रों की माने तो घरेलू बाजार में इसकी कीमत करीब 15 लाख वॉन (1,332 डॉलर) हो सकती है। अगर भारतीय रुपये में बात करें तो यह कीमत करीब 84 हजार रुपये होगी।
परीक्षण में खरा पाया गया फोन
सरकार द्वारा संचालित नेशनल रेडियो रिसर्च एजेंसी ने सोमवार को कहा कि गैलेक्सी एस-10 के 5जी मॉडल को सत्यापन परीक्षण में पास कर दिया गया है और दक्षिण कोरिया के बाजार में इसे उतारने की हरी झंडी मिल चुकी है।
भारत मोबाइल तकनीक में कहां
हालांकि कहा जाता था कि भारत तकनीक में दूसरे देशों से काफी पीछे है। यहां लगभग 15 साल की देरी से मोबाइल सर्विस आई। 3G सर्विस में भी हम लगभग 10 साल पीछे थे। यूरोपिय देशों ने 2001 में ही 3G सर्विस लॉन्च करना शुरू कर दिया था, लेकिन भारत में 2011 के बाद यह सर्विस आई। हालांकि 4G ने देरी के खाई को बहुत हद तक कम कर दिया है जल्द ही देश में आ गई। हम लगभग 3 से 4 साल देर थे। वहीं 5G में शायद अब ऐसा भी न हो। हाल में 5G नेटवर्क के लिए टावर्स और स्मार्टफोन के मानकों का निर्धारण कर दिया गया है। 5G स्टैंडर्ड के लिए आईएमटी 2020 का नाम दिया गया है। आइये अब जानते हैं कि दुनिया ने 1G से 4G तक सफर कब-कब तक तय किया।
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1G नेटवर्क
मोबाइल नेटवर्क में जी का आशय जेनरेशन से होता है। 1G मोबाइल टेलीफोनी की पहली जेनरेशन अर्थात पहली पीढ़ी है। यह एनालॉग सिग्नल पर आधारित तकनीक थी और इसकी क्षमता बेहद ही कम थी। सबसे पहले सन् 1979 में 1G तकनीक का उपयोग किया गया था। जापान में निपॉन टेलीग्राफ एंड टेलीफोन कंपनी जिसे एनटीटी (NTT) नाम से भी जाना जाता है, ने सबसे पहले लॉन्च किया था और 1980 के दशक में यह तकनीक काफी लोकप्रिय हुई। 1983 में इसे यूएस में लॉन्च किया गया। 1G तकनीक खास कर वॉयस के लिए थी, जिसकी क्षमता सिर्फ 2.4 KBPS तक की गति थी।
2G नेटवर्क
पहली बार 1991 में मोबाइल के 2जी नेटवर्क का विकास किया गया। इसमें काफी बदलाव आए। 1G जहां एनालॉग नेटवर्क था, वहीं 2G में के लिए डिजिटल सिग्नल का उपयोग किया गया। हालांकि 2G के लिए दो तरह की तकनीक का उपयोग किया गया। जहां फिनलैंड से जीएसएम (GSM) आधारित मोबाइल तकनीक शुरू हुई वहीं यूएस में सीडीएमए (CDMA) का प्रयोग किया गया। 2G सिग्नल के माध्यम से फोन अब टेक्स्ट मैसेज, पिक्चर मैसेज और मल्टीमीडिया मैसेज भेजने में सक्षम हो गए। वहीं बैटरी खपत में भी यह 1G की अपेक्षा काफी कम करता था। 2जी सेवा में डाटा का भी उपयोग किया जा सकता था, लेकिन यह काफी कम थी। इसमें डाउनलोड और अपलोड की अधिकतम स्पीड 64 केबीपीएस (KBPS) तक थी। हालांकि बाद में इसमें कई सुधार हुए और 2.5G और 2.7G भी आए और इसका अधिकतम डाटा स्पीड 256 केबीपीएस (KBPS) तक हुआ। भारत में शुरुआत 2.5G से हुआ था। क्या आपको पता है कि भारत में पहली टेलीफोन लाइन कोलकाता और डाउमंड हार्बर के बीच खुरू हुई थी और 1995 में पहली मोबाइल सेवा भी यहीं से शुरू हुई थी। कोलकाता के उस वक्त के मुख्यमंत्री ज्योती बासु ने यूनियन टेलीकॉम् मिनिस्टर सुखराम को कॉल करके इसकी शुरुआत की थी।
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3G नेटवर्क
हालांकि 2G मोबाइल सर्विस को हर देश अपने अनुसार उपयोग कर रहे थे। कोई एक स्टैंडर्ड निर्धारित नहीं था। वहीं वर्ष 2000 के बाद 3G नेटवर्क की शुरुआत हुई। इसके लिए इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन यानी आईटीयू (ITU) ने आईएमटी 2000 नाम से स्टैंडर्ड बनाया। हालांकि जापानी कंपनी एनटीटी डोकोमो ने प्री कॉमर्शियल सर्विस लॉन्च कर दी थी, लेकिन वर्ष 2001 इसे अधिकारिक रूप से लॉन्च कर दिया गया। 3G नेटवर्क डाटा और कॉल दोनों के लिए था। इसमें डाटा की स्पीड की शरुआत 384 केबीपीएस (KBPS) से 2 एमबीपीएस (MBPS) बीच थी। 3G में वॉयस कॉल के साथ ही वीडियो कॉल का भी सुविधा उपलब्ध थी। वहीं इसमें फाइल ट्रांसफर, इंटरनेट, ऑनलाइन टीवी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, 3D गेमिंग और ईमेल सेंड-रिसीव जैसे फीचर शामिल थे। 2G तकनीक के मुकाबले 3G तकनीक की खासियत थी कि यह अधिक सुरक्षित थी।
4G नेटवर्क
आज भारत सहित दुनिया भर में 4G का ही बोलबाला है। हालांकि इसकी कहानी भी अजीब है। 4G तकनीक की शुरुआत साल 2007 में हुई, लेकिन उस वक्त यह वाईमैक्स नेटवर्क पर टेस्ट किया गया था। इसे आईटीयू (ITU) ने तैयार नहीं किया था। वहीं वर्ष 2008 में आईटीयूट ने 4G के लिए आईएमटी अडवांस तकनीक की घोषणा कर दी जो जीएसएम (GSM) आधारित 4G तकनीक थी। इसके बाद से इसमें विकास देखा गया। इसमें भी एनटीटी डोकोमो ने पहले 4G नेटवर्क का ट्रायल किया था, लेकिन जानकारी के अनुसार पहले अधिकारिक रूप से 4G की शुरुआत एक फिनिश कंपनी द्वारा की गई थी। हालांकि भारत में भी बीएसएनएल (BSNL) सहित कुछ ऑपरेटर्स ने वाईमैक्स तकनीक का परीक्षण किया था, लेकिन यह आ नहीं पाया और सबसे पहले एयरटेल (airtel) ने कोलकाता से 4G एलटीई की शुरुआत कर दी। इसमें भी दो तकनीक है। एयरटेल ने 4G की एफडीडी तकनीक को लॉन्च किया था। बाद में वोडाफोन (vodafone) और आइडिया (idea) ने भी इसे ही पेश किया, लेकिन 5 सितंबर 2016 से पूरा बाजार बदल गया। रिलायंस जियो (reliance jio) ने भारत में 4G की टीडीडी सर्विस लॉन्च की और कंपनी ने 4G वोएलटीई को मुहैया कराया। इसके बाद तो भारत में 4G का बूम आ गया। 3G से ज्यादा 4G नेटवर्क का कवरेज है। 4G में भी अब तक कई सुधार हुए हैं और इसकी क्षमता को बढ़ाया गया है। इसकी डाटा क्षमता को कैट से डिफाइन किया गया है। यदि किसी फोन में कैट.3 सपोर्ट है तो वह 100 एमबीपीएस (MBPS) तक की गति से ही डाटा हस्तांतरण करने में सक्षम है। इसी तरह यदि कैट.4 है तो 150 एमबीपीएस (MBPS), कैट.6 है तो 300 एमबीपीएस (MBPS), कैट.9 है तो 450 एमबीपीएस (MBPS) और यदि कैट. 11 है तो 4G नेटवर्क पर 600 एमबीपीएस (MBPS) तक की गति से डाटा हस्तांतरण करने में सक्षम होगा।