RBI study: निजी क्षेत्र के निवेश लगातार सातवें वर्ष गिरावट
निजी क्षेत्र अपनी नई विस्तार योजनाओं पर फिलहाल विचार नहीं कर रहा है लेकिन उन्होंने नियोजित चरणों के लिए उधारी जुटाना शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली: निजी क्षेत्र अपनी नई विस्तार योजनाओं पर फिलहाल विचार नहीं कर रहा है लेकिन उन्होंने नियोजित चरणों के लिए उधारी जुटाना शुरू कर दिया है। आपको इस बात की जानकारी दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक अध्ययन से ये बातें सामने आई हैं। वहीं उम्मीद की जा रही थी कि 2017-18 में निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र कुल 1.49 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय करेगा जिसमें से 80,200 करोड़ रुपये की नई मंजूरी वाले परियोजनाएं थी।
हालांकि रिजर्व बैंक के अध्ययन से पता चलता है, 'निजी कॉर्पोरेट क्षेत्र की पूंजीगत व्यय योजनाओं में यह साल लगातार सातवां सालाना दबाव वाला साल रहा। हालांकि वहीं इससे पहले मंजूर किए जा चुके पाइपलाइन परियोजनाओं से परिकल्पित पूंजीगत व्यय में पिछले साल के पाइपलाइन वाली परियोजनाओं के मुकाबले सुधार नजर आ रहा है।
आपको बता दें कि बैंकों द्वारा मंजूर की गई परियोजनाओं के पूंजीगत खर्च के चरणबद्घ स्वरूप से संकेत मिलता है कि कुल प्रस्तावित खर्च में से 2017-18 में करीब 38 फीसदी (65,000 करोड़ रुपये), 2018-19 में 24 फीसदी (41,900 करोड़ रुपये) और उसके अगले वर्ष 21 फीसदी (36,800 करोड़ रुपये) रकम खर्च की जाएगी।
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वहीं पूर्ववर्ती वर्षों में मंजूर की गई पाइपलाइन परियोजनाओं के आधार पर 2018-19 में नियोजित पूंजीगत व्यय 79,200 करोड़ रुपये हो सकता है, जो पिछले वर्ष से 68,500 करोड़ रुपये का सुधारा दर्शाता है। 2018-19 की पहली छमाही में बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की ओर से कुल 91,400 करोड़ रुपये की लागत वाली 190 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी।
जबकि अध्ययन में पाया गया कि 1.16 लाख करोड़ रुपये की 451 निवेश प्रस्तावों को तीन वित्तीय स्रोतों से मंजूरी दी गई थी। अध्ययन कहता है कि ये स्रोत बैंक और वित्तीय संस्थाएं, बाहरी वाणिज्यिक उधारी (ईसीबी), विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (एफसीसीबी) या रुपये वाला बॉन्ड और आरंभिक सार्वजनिक निर्गम शामिल हैं।