ये है 50 हजार करोड़ रुपये का चुनावी कुंभ, जानें कमाई के मौके
नई दिल्ली। इलाहाबाद में होने वाला महाकुंभ (Maha kumbh) अभी चल ही रहा कि उसके लगभग खत्म होने के ही चुनाव आयोग ने चुनावी महाकुंभ (Lok Sabha Elections 2019) का ऐलान कर दिया है। यह कई मायने में दुनिया का सबसे बड़ा कुंभ (Kumbh) है। इस चुनाव में न सिर्फ दुनिया में सबसे से ज्यादा मतदाता (Voter) भाग लेते हैं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी मशीनरी भी लगाई जाती है। कई लाख सरकारी कर्मचारी इस चुनावी महाकुंभ को सफल बनाने में भाग लेते हैं। लेकिन दूसरी तरफ यह भी सच है कि इस गरीब देश का यह चुनावी महाकुंभ दुनिया का सबसे महंगा चुनाव (World most expensive election) बनने जा रहा है। इस बार का चुनाव अभी तक के सबसे महंगे चुनाव यानी अमेरिका के चुनाव को भी पीछे छोड़ देगा। हालांकि इस चुनाव खर्च का एक दूसरा पक्ष यह है कि इसमें खर्च होने वाला बेनामी हजारों करोड़ रुपये देश की कई इंडस्ट्री को मदद देता है। इन इंडस्ट्री की कई कंपनियां शेयर बाजार (stock market) में लिस्ट हैं, जिनमें निवेश (investment) करके कमाई के मौके भी बन सकते हैं। आइये जानते हैं कि कितना तक हो सकता है इन चुनावों में खर्च और कैसे उठाएं निवेश करके फायदा।
50 हजार करोड़ रुपये हो सकते हैं खर्च
चुनावी खर्चे (Election expenses) पर सेंटर फॉर मीडिया स्टडी (CMC) के अनुसार 1996 में लोकसभा चुनावों में 2500 करोड़ रुपये खर्च (Election expenses) हुए थे। साल 2009 में यह रकम बढ़कर 10,000 करोड़ रुपये हो गई। इसमें वोटरों को गैर कानूनी तरीके से दिया गया कैश का अनुमानित आंकड़ा भी शामिल है। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में यह खर्च (Election expenses) 35,547 करोड़ रुपये (500 करोड़ डॉलर) पहुंच गया था। ऐसे में इस बार खर्च के मामले में सभी रेकार्ड टूटते नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में करीब 50 हजार करोड़ रुपये तक खर्च (Election expenses) आ सकता है।
पीछे छूट जाएगा अमेरिका का चुनाव
कारनीज एंडोमेंट फोर इंटरनेशनल पीस थिंकटैंक' के मुताबिक साल 2019 का भारत में होने वाला लोकसभा चुनाव अमेरिकी चुनावी खर्च (Election expenses) की पीछे छोड़ देगा। थिंकटैंक के सीनियर फेलो और दक्षिण एशिया कार्यक्रम के निदेशक मिलन वैष्णव के मुताबिक 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और कांग्रेस चुनावों में 46,211 करोड़ रुपए (650 करोड़ डॉलर) खर्च हुए थे। वैष्णव के मुताबिक अगर भारत में 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 35,547 करोड़ रुपये (500 करोड़ डॉलर) खर्च हुए थे तो 2019 के चुनाव में अमेरिकी चुनावों में खर्च का आंकड़ा आसानी से पार हो सकता है। ऐसा हुआ तो यह दुनिया का सबसे खर्चीला चुनाव साबित होगा।
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मिलेंगे कमाई के मौके
चुनाव में जब पैसा पानी की तरह बहेगा तो इससे देश की अर्थव्यवस्था में नई जान आने की उम्मीद है। अभी भी देश में पूरी तरह से ट्रांसपेरेंट तरीके पैसों का लेनदेन नहीं होता है। ऐसे में चुनाव के दौरान होने वाले कानूनी तरीके से और बेनामी खर्च से कई इंडस्ट्री में नई जान आ सकती है। इसका असर उन क्षेत्रों से जुड़ी ऐसी कंपनियों पर भी पड़ेगा जो शेयर बाजार में लिस्टेड (Listed companies) हैं। ऐसे में समय से सही कंपनी का चुनाव करके निवेश किया जाए तो बाद में फायदा उठने का मौका बन सकता है। महिंद्रा म्युचुअल के प्रबंध निदेशक (MD) और (CEO) आशुतोष बिश्नोई का कहना है कि लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के दौरान अर्थव्यवस्था (Economy) में भारी मात्रा में नकदी का प्रवाह होगा, जो अर्थव्यवस्था के पहिए को गतिशील कर देता है। ऐसे में जो लोग निवेश करके पैसा बनाना चाहते हैं उनके लिए यह एक बेहतरीन मौका साबित हो सकता है।
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नोटबंदी और जीएसटी की के असर को चुनाव कर सकता है कम
बिश्नोई ने एक बयान में कहा, "नोटबंदी (demonetisation) और जीएसटी (GST) के कारण अर्थव्यवस्था (Economy) थोड़ी रुक सी गई थी। पहले तो लोगों के हाथ में पैसा नहीं था और फिर सप्लाई में भी कमी आ गई। तब कंज्यूमर डिमांड (Consumer demand) जो रुक गई थीं, वो अब बहुत तेजी से आगे आ रही हैं। ऐसे में अब कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ रहा है। पिछले छह महीने के कारपोरेट रिजल्ट्स (Corporate results) देखकर यह समझा जा सकता है कि कई सेक्टरों में मुनाफा तेजी से बढ़ रहा है।"
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इनवेस्टमेंट के मौके के तौर पर देखें चुनाव
उन्होंने कहा, "बजट भी ऐसा रहा है जो लोगों को खर्च करने का बढ़ावा देगा, ऐसे में लोगों की डिमांड बढ़ेगी और इससे कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ेगा। वहीं दूसरी तरफ कंपनियों की कॉस्ट घट रही है। तेल की कीमतें कम हो चुकी हैं, स्टील-कॉपर जैसी इंडस्ट्रियल कमॉडिटीज की कीमत अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। ऐसे में आने वाले समय में भी कंपनियों की लागत घटेगी और मुनाफा बढ़ेगा। लिहाजा, यह समय अच्छी कंपनियों में निवेश के लिए बहुत अच्छा है। हर इंवेस्टर (invester) को चुनाव को इंवेस्टमेंट (investment) के मौके के तौर पर देखना चाहिए।"
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म्युचुअल फंड सिप (mutual fund sip) में बढ़ा सकते हैं निवेश
आशुतोष ने कहा, "अगर आप म्युचुअल फंड सिप (mutual fund sip) माध्यम से निवेश करते हैं, तो इसे बढ़ा भी सकते हैं। अगर हर महीने एक सिप (SIP) कर रहे हैं और अगर आपके पास थोड़े और पैसे हों तो 2 एसआईपी (SIP) डालने लगें। अगर डेट मार्केट यानी फिक्स्ड इनकम फंड्स की तरफ देखें तो उसके रेट्स कम होते जा रहे हैं। रेट कम होने का मतलब है कि आपके फंड की वैल्यू बढ़ रही है। यह सिलसिला अभी चलता ही रहेगा।" उन्होंने कहा, "अगले 6-8 महीनों में रेट बढ़ने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। रेट घटने की ही संभावना ज्यादा है। अगर पिछले एक-दो सालों का कारपोरेट बॉन्ड फंड का रिटर्न देखें तो 11-12 फीसदी के करीब हो चुका है। लिक्विड फंड में भी 7.25-7.5 का रिटर्न मिल रहा है। इसमें तो रिस्क भी न के बराबर होता है। ऐसे में जो लोग लंबे समय के लिए मार्केट में हैं, वो अपना सिप (SIP) करते रहें।"
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बस इन 3 बातों का रखें ध्यान
क्या इस कंपनी का बिजनेस अच्छा है? : इसके लिए आपको कंपनी की कई सालों की बैलेंसशीट (balance sheet) देखनी पड़ेगी।
कंपनी का वैल्यूएशन मार्केट में कैसी है? : कंपनी का बिजनेस बहुत बढ़िया हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि मार्केट में उसे वैल्यूएशन मिला हो। यानी कंपनी को प्रॉफिट तो होता है, लेकिन जरूरी नहीं है कि स्टॉक मार्केट (stock market) में कंपनी का नाम दिख रहा हो। कई बार इसका उल्टा भी होता है कि कंपनी का प्रॉफिट बिलकुल नहीं हो रहा है, लेकिन स्टॉक मार्केट में उसकी वैल्यू नजर आती है। ऐसी कंपनी ढूंढनी चाहिए, जिसमें बिजनेस और वैल्यू दोनों बढ़िया हों।
क्या यह निवेश का सही समय है? : सबसे जरूरी चीज है यह देखना कि किस कंपनी या स्टॉक में कब निवेश करना चाहिए। समय बहुत बड़ा फैक्टर है। आपको आकलन करना होगा कि बाजार में इसका वॉल्यूम कितना है। कौन-कौन से बड़े इंवेस्टर्स इसमें पैसा डाल रहे हैं या निकाल रहे हैं। यह टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis) करना जरूरी है कि कहीं इस समय निवेश करना घाटे का सौदा तो नहीं (Do not invest a loss deal) हो जाएगा।
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