ICICI Bank और Videocon मामले में अब खुल रहीं पर्तें, ED की जांच तेज
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने करोड़ों रुपये के धनशोधन (Money laundering) के एक मामले में यह पता लगाने के लिए अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है कि क्या मॉरीशस स्थित फर्स्टलैंड होल्डिंग्स और आईसीआईसीआई बैंक (icici bank) की सीईओ (ceo) चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के स्वामित्व वाले नुपॉवर रिन्युवेबल्स प्रा. लि. के बीच कोई अवैध धन का लेन-देन था। यह मामला आईसीआईसीआई बैंक द्वारा वीडियोकॉन समूह को 2009-2011 के दौरान दिए गए 1,875 करोड़ रुपये के लोन (loan) को मंजूरी देने में कथित अनियमितता और भ्रष्ट आचरणों से जुड़ा है।
अवैध लेनदेन का पता चला
एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने के अनुरोध के साथ बताया कि ED को फर्स्टलैंड के जरिए नुपॉवर तक करोड़ों रुपये पहुंचाने के एक अवैध लेन-देन के बारे में जानकारी मिली। फर्स्टलैंड का स्वामित्व मैट्रिक्स समूह के अध्यक्ष और एस्सार समूह के सहसंस्थापक रवि रुईया के दामाद निशकांत कनोडिया के पास है।
लगातार चल रही पूछताछ में मिला सुराग
ईडी (ED) को संदिग्ध लेन-देन के बारे में तब पता चला, जब कनोडिया से इस मामले में दो दिनों तक पूछताछ की गई। चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन समूह के एमडी वेणुगोपाल धूत से पिछले पांच दिनों के दौरान मुंबई में हुई पूछताछ में भी इन लेनदेन के बारे में एजेंसी को सुराग मिला। अधिकारी ने कहा, "नुपॉवर को धूत और कनोडिया के फर्स्टलैंड के स्वामित्व वाली विभिन्न कंपनियों से करोड़ों रुपये के लेन-देन हुए हैं। लेकिन लेन-देन कंपनियों के एक जाल के जरिए किया गया। हमें अब इनके आपस में तार जोड़ना है।" ईडी को पता चला है कि नुपॉवर को फस्टलैंड से 3,250 करोड़ रुपये का निवेश मिला और इसकी प्रक्रिया दिसंबर 2010 में शुरू हुई थी।
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