Tata Group : सब्सिडियरीज की संख्या घटाने का काम शुरू
नई दिल्ली। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन (Tata Sons chairman N Chandrasekaran) ने टाटा ग्रुप की ऑपरेटिंग कंपनियों की 1000 से ज्यादा सब्सिडियरीज (tata group subsidiaries) की संख्या घटाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। टाटा संस (Tata Sons) का मानना है कि इन सब्सिडियरीज की संख्या कम की जाएगी जिससे इनका आसानी से संचालन किया जा सके। ग्रुप फिलहाल जगुआर लैंड रोवर को स्टेबल करने पर पूरा ध्यान दे रहा है। ग्रुप का पूरा फोकस एविएशन और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे अपेक्षाकृत कमजोर कारोबारों की राह आसान करने के अलावा कंज्यूमर और रिटेल जैसे ज्यादा ग्रोथ वाले सेक्टरों की रफ्तार बढ़ाने पर है। इसके अलावा ग्रुप ने कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री में एक नई कंपनी रजिस्टर कराने के लिए आवेदन भी किया है, ताकि ई-कॉमर्स बिजनेस शुरू किया जा सके। यह बिजनस इसी साल शुरू किया जा सकता है।
अभी है 1000 से ज्यादा सब्सिडियरीज
ईटी के मुताबिक इस अधिकारी ने बताया कि ग्रुप की 1000 से ज्यादा सब्सिडियरीज (tata group subsidiaries) हैं, और ग्रुप को इतनी ज्यादा सब्सिडियरीज की जरूरत नहीं है। इस अधिकारी ने कहा कि इस तरह की रीस्ट्रक्चरिंग टाटा ग्रुप की हर बड़ी ऑपरेटिंग कंपनी में चल रही है। कुछ कंपनियों में सब्सिडियरीज की संख्या एक दर्जन तक है।
सब्सिडियरीज का मर्जर भी
सब्सिडियरीज (tata group subsidiaries) के मर्जर का काम भी चल रहा है। इसमें 12 से 18 महीने लग सकते हैं। इस काम के लिए बोर्ड मीटिंग्स करनी होंगी और जरूरी मंजूरियां लेनी होंगी। अधिकारी ने बताया कि इनमें से कुछ सब्सिडियरीज अब योजना में फिट नहीं बैठ रही हैं, क्योंकि उनका कारोबार बढ़ाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि टाटा की एक लिस्टेड कंपनी की करीब 33 सब्सिडियरीज और 33 बोर्ड हैं। वहीं अगले चरण में टाटा संस की ऑपरेटिंग कंपनियों की संख्या में कमी का काम शुरू किया जाएगा।
जटिल समस्याओं से जूझ रहा ग्रुप
टाटा संस के फॉर्मर डायरेक्टर आर गोपालकृष्णन ने कहा कि चंद्रा के सामने जटिल चुनौतियां हैं। उनके एक्शन से पता चल रहा है कि वह प्रभावी कदम उठा रहे हैं। वहीं एक अधिकारी ने कहा कि अभी जेएलआर को प्रॉफिट में लाने पर फोकस है। टाटा मोटर्स को चीन में सुस्ती और ब्रेग्जिट के कारण 3.1 अरब पौंड की रकम इंपेयरमेंट चार्ज के रूप में बट्टे खाते में डालनी पड़ी है।
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