सुप्रीम कोर्ट ने सेरिडॉन को प्रतिबंधित दवाओं की सूची से किया बाहर
दवा बनाने वाली कंपनी पीरामल एंटरप्राइजेस लिमिटेड ने गुरूवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने दर्द निवारक टैबलेट सेरिडॉन को प्रतिबंधित दवाओं (एफडीसी) की सूची से बाहर निकाल दिया है।
दवा बनाने वाली कंपनी पीरामल एंटरप्राइजेस लिमिटेड ने गुरूवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने दर्द निवारक टैबलेट सेरिडॉन को प्रतिबंधित दवाओं (एफडीसी) की सूची से बाहर निकाल दिया है। कंपनी ने शेयर बाजार को बताया कि शीर्ष न्यायालय ने सेरिडॉन के पक्ष में फैसला सुनाया है।
बता दें कि कंपनी का कहना है उच्चतम न्यायालय ने सितंबर 2018 में पिरामल के सेरिडॉन पर प्रतिबंध पर रोक लगा दी थी जिससे उसे इस एफडीसी के विनिर्माण, वितरण और बिक्री को जारी रखने की स्वीकृति मिली। पीरामल टरप्राइजेस ने कहा कि सेरिडॉन पिछले 50 साल से भारत में की हेरीटेज ब्रांड है जिस पर ग्राहक विश्वास करते हैं।
नंदिनी पिरामल भरोसा था कानून हमारे पक्ष मे होगा
कंपनी की कार्यकारी निदेशक नंदिनी पिरामल ने न्यायालय के आदेश पर कहा, हम उच्चतम न्यायालय के आदेश से खुश हैं। यह भारतीय उपभोक्ताओं की विशिष्ट जरूरतों के लिये प्रभावी तथा सुरक्षित चिकित्सा समाधान मुहैया कराने की हमारी प्रतिबद्धता को साबित करता है। हमें भरोसा है कि कानून हमारे पक्ष में रहेगा। सरकार ने पिछले साल सितंबर में सेरिडॉन समेत 328 एफडीसी को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया था।
1 सेकंड में 31 सेरिडॉन बेची जाती
पीरामल ने कहा कि वो अपने हेल्थकेयर प्रोडक्ट के पोर्टफोलियो को बढ़ाती रहेगी। कंपनी 2020 तक देश की टॉप 3 ओवर दि काउंटर प्रोडक्ट कंपनियों में आना चाहती है। कंपनी के मुताबिक देश में एनेलजेसिक बाजार 6450 करोड़ रुपए का है।
इसमें एनेलजेसिक टैबलेट का बाजार दिसंबर 2018 तक 2050 करोड़ रुपए का था। पीरामल एंटरप्राइजेस के मुताबिक 1 सेकंड में 31 सेरिडॉन बेची जाती है।
13 सितंबर को स्वास्थ्य मंत्रालय ने लगाया था प्रतिबंध
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 13 सितंबर 2018 को 349 FDC दवाओं के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने की सूचना जारी की थी। यह प्रतिबंध 7 सितंबर 2018 से लागू हो गया था। इन FDC दवाओं में पीरामल एंटरप्राइजेज की Saridon टैबलेट भी शामिल थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रतिबंध के खिलाफ पीरामल इंटरप्राइजेज और दूसरी कंपनी सुप्रीम कोर्ट चली गई थीं। तब सुप्रीम कोर्ट ने पीरामल हेल्थकेयर की सेरिडॉन, ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन की प्रीटोन, जग्गट फार्मा की डार्ट और एक अन्य दवा पर लगे प्रतिबंध पर रोक लगा दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने Saridon को FDC लिस्ट से पूरी तरह से हटा दिया है।
क्या होती हैं एफडीसी दवाएं
एफडीसी दवाएं वह होती हैं, जिन्हें दो या उससे ज्यादा दवाओं को मिलाकर बनाया जाता है। इन दवाओं पर देश में एक लंबे समय से विवाद हो रहा है। हेल्थ वर्कर्स के साथ ही संसद की एक समिति ने भी इन पर सवाल उठाए हैं।
बता दें कि समिति का कहना है कि ये बिना मंजूरी के और अवैज्ञानिक तरीके से बनाई गई हैं। इनमें कई ऐंटीबायॉटिक दवाएं भी शामिल हैं। जिन एफडीसी पर विवाद हो रहा है, उन्हें भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल की मंजूरी के बिना ही देश में बनाया और बेचा जा रहा था।
इन एफडीसी को राज्यों ने अपने स्तर पर मंजूरी दे दी थी। केंद्र इसे गलत मानता है। उसका कहना है कि किसी भी नई ऐलोपैथिक दवा को मंजूरी देने का अधिकार राज्यों को नहीं है।
कई देशों में बैन
अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ ही कई देशों में एफडीसी पर रोक है। भारत के साथ ही कई विकासशील देशों में ये बिकती हैं। देश में महज पुडुचेरी एक ऐसा राज्य है, जिसने एफडीसी पर रोक लगा दी है।
आपको इस बात की जानकारी दे कि सरकार ने जिन 328 एफडीसी पर बैन लगाया है उनका देश के संगठित दवा क्षेत्र में कुल कारोबार करीब 3800 करोड़ रुपये का है। यह भारत के फार्मा सेक्टर के कुल कारोबार का करीब 3 प्रतिशत है।
सरकार के फैसले के बाद कोरेक्स पर रोक से फाइजर के 308 करोड़ रुपये के कारोबार पर असर पड़ेगा। वहीं, एबॉट के 480, मैकलॉड्स के 367, पैनडेम के 214, सुमो के 79 और जीरोडॉल के 72 करोड़ रुपये के कारोबार पर असर होगा।