केश किंग तेल के चलते डूब सकती है ये कंपनी, जानें कारण
नई दिल्ली। जी इंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) के शेयरों के दिक्कत आने के बाद से म्यूचुअल फंड्स (Mutual fund) और एनबीएफसीज (NBFC) परेशानी झेल रहे हैं। इस बीच एक नया नाम सामने आया है। कोलकाता की कंपनी इमामी (Emami) पर भी म्यूचुअल फंड्स (Mutual fund) का भारी-भरकम करीब 2,000 करोड़ रुपये का कर्ज सामने आया है। यह कर्ज इमामी के प्रमोटरों को कंपनी के शेयरों को गिरवी रखकर म्यूचुअल फंड्स (Mutual fund) कंपनियों ने दिया गया था। जानकारी के अनुसार इमामी (Emami) समूह ने गैर-म्यूचुअल फंड्स (Mutual fund) कंपनियों से भी शेयरों के बदले कर्ज ले रखा है। स्थिति यह है कि इमामी (Emami) के प्रमोटरों की कंपनी में 72 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसमें से आधा कर्ज के बदले गिरवी रखा हुआ है।
केश किंग के लिए था कर्ज
समस्या यह है कि इमामी (Emami) के शेयरों की दैनिक ट्रेडिंग की मात्रा मुश्किल से 10-12 करोड़ रुपये है। इमामी (Emami) के शेयर अपने उच्च स्तर से फिलहाल आधी कीमत पर ट्रेड कर रहे हैं। साल 2015 में इमामी ने केश किंग का 1,684 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया था और इसके लिए 950 करोड़ रुपये शेयर गिरवी रखकर कर्ज के रूप में जुटाए थे। उसने केश किंग और संबंधित ब्रांड्स को एसबीएस बॉयोटेक से खरीदा था। उस समय इस सौदे को विश्लेषकों ने काफी महंगा करार दिया था।
सोमवार को शेयरों में आई गिरावट
सोमवार को इंट्राडे कारोबार में इमामी (Emami) के शेयरों में 11 फीसदी गिरावट दर्ज की गई, जो कि चार सालों के न्यूनतम स्तर 336 रुपये प्रति शेयर रही, हालांकि बाद में कुछ सुधार देखा गया और चार फीसदी की गिरावट के साथ 368 रुपये प्रति शेयर की दर पर बंद हुए।
उठे सवाल
जैसा कि जी इंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) के मामले में हुआ था, म्यूचुअल फंड्स (Mutual fund) कंपिनयां गिरवी रखे शेयरों को इसलिए नहीं बेचा था कि इससे शेयरों के दाम तेजी से गिर जाएंगे और मूल रकम की वसूली नहीं हो पाएगी। इससे यह सवाल उठ खड़ा होता है कि जब गिरवी रखे शेयरों को भुनाकर कर्ज की वसूली नहीं की जा सकती तो म्यूचुअल फंड्स (Mutual fund) कंपनियों ने क्या सोचकर इतनी भारी-भरकम रकम का कर्ज शेयरों को गिरवी रखकर दिया।
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अपोलो हास्पिटल का भी यही हाल
इसके अलावा अपोलो हॉस्पिटल (Apollo Hospitals Enterprise) के शेयरों की कीमत में सोमवार को कारोबार में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। यह कंपनी के शेयरों में पिछले सात सालों में किसी एक दिन हुई सबसे बड़ी गिरावट है, जिससे निवेशक घबराए हुए हैं। अपोलो हॉस्पिटल (Apollo Hospitals Enterprise) में प्रमोटरों की 34 फीसदी हिस्सेदारी है और उन्होंने अपने करीब 75 फीसदी शेयर गिरवी रखे हैं, जिससे निवेशक समुदाय में भय का माहौल है।
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शेयर भी टूटे
सोमवार को अपोलो हॉस्पिटल (Apollo Hospitals Enterprise) के शेयरों में आई भारी गिरावट के पीछे मद्रास उच्च न्यायालय का अपोलो हॉस्पिटल (Apollo Hospitals Enterprise) की उस याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार करना है, जिसमें मांग की गई थी कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को 2016 में उनकी मृत्यु से पहले अपोलो अस्पताल में किए गए इलाज की शुद्धता और पर्याप्तता को देखने के लिए एक जांच आयोग के गठन पर रोक लगाई जाए।
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