जानें Vijay Mallya ने पैसों को कहां छिपा कर रखा था, जांच में खुलासा
नई दिल्ली। संकट में फंसे शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) और युनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (UBHL) समेत किंशफिशर एयरलाइन (Kingfisher Airlines) (KAL) के प्रमोटरों के पास विविध पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के शेयर के रूप में काफी परिमाण में चल संपत्तियां थीं, लेकिन विजय माल्या (Vijay Mallya) ने इन उपकरणों से बैंक का बकाया चुकाने की अपनी कोई मंशा नहीं जाहिर की। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यह खुलासा अब बंद हो चुकी किंशफिशर एयरलाइन (Kingfisher Airlines) के मामले की जांच में किया है।
ED की जांच में खुलासा
धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत ईडी (ED) की जांच में पाया गया है कि विजय माल्या (Vijay Mallya) और यूबीएचएल के पास समूह की विविध पब्लिक लिमिटेड कंपनियों में 3,847.45 करोड़ रुपये के शेयर थे। दरअसल, यूबीएचएल, युनाटेड स्पिरिट, युनाटेड ब्रेवरीज और मैकडोवेल के शेयरों में माल्या कुल 1,773.49 करोड़ रुपये (12 अगस्त 2016 को) धारण करते थे और यूटीआई इन्वेस्टर्स सर्विसेज के पास 1,653 करोड़ रुपये के शेयर गिरवी थे।
ऐसे की चालाकी
ईडी (ED) की जांच से हुए खुलासे के अनुसार, यूटीआई इन्वेस्टर्स सर्विसेज के पास विजय माल्या (Vijay Mallya) के गिरवी पड़े सारे शेयरों का दावा नहीं बेचा गया, जबकि उसके एवज का दायित्व पहले ही चुकता हो चुका था। मतलब, बैंक अपने बकाये के एवज में शेयरों को अटैच (जब्त) नहीं कर सकते थे, क्योंकि दावा व्यवस्था के तहत शेयरों को इस प्रकार हस्तांतरण नहीं हो सकता था।
कर्ज चुकाने का नहीं था इरादा
ईडी (ED) के अस्थायी जब्ती आदेश के अनुसार, जांच रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा, "इन तथ्यों से फिर संकेत मिलता है कि विजय माल्या (Vijay Mallya) का बैंकों के समूह का बकाया चुकाने का इरादा नहीं था। अगर वह नेकनीयती से बकाया चुकाना चाहते तो उनके पास ये शेयर होते और वह कर्ज चुकाने में इनका उपयोग करते।" ईडी (ED) की जांच में यूबीएचएल समेत माल्या के साम्राज्य के तहत बनाई गई नकली व निवेश कंपनियों के जाल की असली मंशा पर भी सवाल उठाया गया है।
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हजारों करोड़ रुपये के थे शेयर
इनमें से कुछ कंपनियों का शेयर मूल्य 3,822 करोड़ रुपये (अगस्त 2016 तक) था, लेकिन माल्या ने जब्ती से बचने के लिए इन कंपनियों में अपने हितों का खुलासा नहीं किया। इनमें शामिल कंपनियों के नाम देवी इन्वेस्टमेंट (Devi Investment), किंशफिशर फिन्वेस्ट (Kingfisher Finvest), मैकडोवेल होल्डिंग्स (McDowell Holdings), फार्मा ट्रेडिंग कंपनी (Pharma Trading Company), जेम इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग (Jam Investment and Trading), वाटसन लिमिटेड (Watson Ltd), विट्टल इन्वेस्टमेंट (Vital Investment), कामस्को इंडस्ट्रीज (Kamco Industries), फर्स्टस्टार्ट इंक (FirstStart Inc) और माल्या प्राइवेट लिमिटेड (Mallya Private Limited) हैं।
नकली कंपनियों का खुलासा
इन कंपनियों की जांच में पाया गया कि ये यूबी समूह या विजय माल्या (Vijay Mallya) या उनके परिवार के सदस्यों या नकली कंपनियों की निवेश कंपनियां थीं, जो यूबी के कर्मचारियों के नाम पर थीं, जिनकी इन कंपनियों में असल में कोई काम नहीं था और न ही उनके पास कोई स्वतंत्र आय का स्रोत था। इन कंपनियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से माल्या का नियंत्रण था।
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इनमें था हजारों करोड़ रुपये
निवेश कंपनियों के बिना गिरवी वाले शेयरों का मूल्य करीब 1,800 करोड़ रुपये था, जिसका उपयोग विजय माल्या (Vijay Mallya) केएएल की एक तिहाई से अधिक कर्ज को चुकाने में कर सकते थे। इसके अतिरिक्त, इन कंपनियों के करीब 2,000 करोड़ रुपये के गिरवी शेयरों का भी काफी अंश निकाला जा सकता था क्योंकि इस पर बकाया कर्ज महज 755 करोड़ रुपये था।
संपत्ति जब्त करने की मांग
इन तथ्यों के मद्देनजर, ईडी इस नतीजे पर पहुंचा है कि विजय माल्या (Vijay Mallya) की अगुवाई में केएएल धन शोधन के अपराध में संलिप्त थी। ईडी ने 550 करोड़ रुपये मूल्य के बेंगलुरू स्थित किंगफिशर टावर में निर्माणाधीन फ्लैटों और अलीबाग के मांडवा में 25 करोड़ रुपये मूल्य के फार्म हाउस के साथ-साथ भूखंड को जब्त करने की मांग की है।
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