बजट में आयकर छूट की सीमा 5 लाख रुपए तक बढ़ाने की मांग
अंतरिम बजट में आयकर छूट की सीमा 5 लाख रुपए तक बढ़ाने की मांग है। अगर उद्योग चैंबर सीआईआई (CII) की मांग मान ली गई तो आपको बड़ी राहत मिल सकती है।
अंतरिम बजट में आयकर छूट की सीमा 5 लाख रुपए तक बढ़ाने की मांग है। अगर उद्योग चैंबर सीआईआई (CII) की मांग मान ली गई तो आपको बड़ी राहत मिल सकती है। CII ने सरकार से इनकम टैक्स से छूट के लिए आय की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने की सिफारिश की है। आपको बता दें कि अभी 2.5 लाख रुपए तक की सीमा में इनकम टैक्स नहीं लगता है।
सीआईआई ने सेक्शन 80सी के तहत निवेश पर डिडक्शन की लिमिट भी बढ़ाने को कहा है। इसे 1.50 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपए करने की मांग की है। आपको बता दें कि 1 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली केंद्रीय बजट पेश करेंगे।
इनकम टैक्स के उच्चतम स्लैब को कम करने का सुझाव
तो वहीं वित्त मंत्रालय के साथ बजट पूर्व बैठक में सीआईआई ने एक महत्वपूर्ण सुझाव दिया है। उसने पर्सनल इनकम टैक्स के उच्चतम स्लैब को घटाने के लिए कहा है। चैंबर चाहता है कि इसे 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करना चाहिए। मेडिकल एक्सपेंस और ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर भी छूट देने के लिए कहा गया है।
इस सीमा तक लगता है इतना टैक्स स्लैब
बता दें कि अभी 2.5 लाख रुपए तक की आय पर इनकम टैक्स से छूट मिलती है। 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक की इनकम पर 5 प्रतिशत टैक्स है। 5-10 लाख रुपए तक की आय पर 20 प्रतिशत की दर से टैक्स वसूला जाता है। 10 लाख रुपए से अधिक की इनकम 30 प्रतिशत टैक्स के दायरे में आती है।
तो वहीं उद्योग संगठन का सुझाव है कि 5 लाख रुपए से कम की इनकम पर टैक्स से छूट मिलनी चाहिए। जबकि 5-10 लाख रुपए तक की आय पर 10 प्रतिशत टैक्स लगना चाहिए। जिनकी इनकम 10-20 लाख रुपए है, उनके लिए टैक्स की दर 20 प्रतिशत होना चाहिए। जो 20 लाख रुपए से ज्यादा कमाते हैं, उन्हें 25 प्रतिशत के टैक्स दायरे में लाना चाहिए।
1 फरवरी को पेश होगा अंतरिम बजट
इस साल आम चुनाव होने हैं, इसे देखते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करेंगे। नई सरकार अंतिम बजट पेश करेगी। CII का सुझाव है कि कॉरपोरेट टैक्स घटाकर 25 प्रतिशत करना चाहिए। फिर टर्नओवर कितना भी क्यों न हो, इसे चरणबद्ध तरीके से 18 प्रतिशत पर लाना चाहिए।
सीआईआई के अन्य सुझाव
इसके अलावा सीआईआई का सुझाव है कि डबल टैक्सेशन से बचने के लिए सेक्शन 17 के तहत संस्थान का रिटायरमेंट फंड में वितरण हटाया जाना चाहिए। यह प्रोविडेंट फंड में संस्थान के वितरण के तर्ज पर होना चाहिए।