ट्रेड यूनियंस की हड़ताल के तहत भारत बंद के चलते कई सेवाओं पर पड़ेगा असर
NDA सरकार की नीतियों के खिलाफ सेंट्रल ट्रेड यूनियंस के द्वारा 8 और 9 जनवरी को हड़ताल के आह्वान से बैंकिंग, रेलवे, पोस्टल, मेडिकल और अन्य सर्विसेज पर असर पड़ सकता है।
NDA सरकार की नीतियों के खिलाफ सेंट्रल ट्रेड यूनियंस के द्वारा 8 और 9 जनवरी को हड़ताल के आह्वान से बैंकिंग, रेलवे, पोस्टल, मेडिकल और अन्य सर्विसेज पर असर पड़ सकता है। ट्रेड यूनियंस ने केंद्र सरकार की नीतियों को राष्ट्र और श्रमिक विरोधी बताया है। AITUC की जनरल सेक्रेटरी अमरजीत कौर ने बताया कि सेंट्रल ट्रेड यूनियंस को सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल में संगठित और असंगठित क्षेत्र से लगभग 20 करोड़ वर्कर्स के शामिल होने का अनुमान है।
INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF और UTUC जैसे बड़े ट्रेड यूनियंस ने इस हड़ताल का आह्वान किया है। फिलहाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी प्रवृत्ति संघ भारतीय मजदूर संघ हड़ताल में शामिल नहीं होगी।
इन सेक्टर के लोग हड़ताल का कर रहे समर्थन
बता दें कि टेलीकॉम, हेल्थ, एजुकेशन, स्टील, कोल, इलेक्ट्रिसिटी, बैंकिंग, इंश्योरेंस और ट्रांसपोर्ट जैसे सेक्टर्स हड़ताल का समर्थन कर सकते हैं। यूनियंस ने सोमवार को जारी बयान में कहा, 'केंद्र सरकार कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रही है, उसने किसी बातचीत से इनकार किया है और पिछले तीन वर्षों से अधिक से भारतीय लेबर कॉन्फ्रेंस का आयोजन नहीं किया गया है और इसके बजाय वर्कर्स के रोजगार और जीवन पर सरकार के हमले जारी हैं।
यूनियंस की मांग हो रहीं नजरअंदाज
कौर ने कहा कि सरकार रोजगार देने में असफल रही है और यूनियंस की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने बताया, 'लेबर पर मंत्रियों के समूह ने 2015 से यूनियंस के साथ मुलाकात नहीं की है। ट्रेड यूनियंस की मांगों को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।'
सरकारी कंपनियों को संमाप्त कर रही सरकार
तो वहीं INTUC के अशोक सिंह का कहना था, 'सरकार पूरी तरह से वर्कर्स और किसानों की विरोधी है और यह सरकारी कंपनियों को समाप्त कर रही है।' ट्रेड यूनियंस ने बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (सार्वजनिक उपक्रमों), महत्वपूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर का निजीकरण करने की सरकार की नीति को पूरा किया है।
ट्रेड यूनियंस का विचार
इसमें टर्मिनल, टेलीकॉम, फाइनेंशियल सेक्टर को विशेषतौर पर लक्ष्य बनाना और रेलवे को 100 पर्सेंट फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट के लिए खोलना शामिल है। ट्रेड यूनियंस का कहना है कि एक ओर यह देश की संपत्तियों और संसाधनों की लूट और दूसरी ओर, देश को आर्थिक आधार पर खोखला करना है।