रेपो रेट या बॉन्ड यील्ड की दर से मिलेगा लोन, MCLR, BPLR व्यवस्था होगी खत्म
बैंक ने लोन के ब्याज दरों की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। जी हां आरबीआई ने MCLR, PLR, BPLR और बेस रेट के तहत लोने दने की व्यवस्था को खत्म कर दिया है।
जैसा कि आप जानते हैं कि बुधवार को आरबीआई ने मौद्रिक नीति व्यवस्था के तहत रेपो रेट प्रस्तुत किया है तो इसके चलते बैंक ने लोन के ब्याज दरों की व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। जी हां आरबीआई ने MCLR, PLR, BPLR और बेस रेट के तहत लोने दने की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। अब 1 अप्रैल 2019 से बैंकों सभी होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोने देने की व्यवस्था को बदलना होगा। इसके अलावा एमएसएमई को लोन देने की व्यवस्था भी बदलेगी।
ऐसे में अब बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक की रेपो रेट के आधार पर लोन देना होगा। इसके अलावा सरकार के 91 दिन के ट्रेजरी बिल के यील्ड या 182 दिन के ट्रेजरी बिल यील्ड के हिसाब से लोन देना होगा। या फिर फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट के निर्धारित दरों पर लोन देना होगा।
इसका मतलब बैंक अपने हिसाब से अब लोन की दरों को तय नहीं कर पाएंगे। माना जा रहा है कि इससे बैंकों की मनमानी पर रोक लगेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक की कमेटी ने लोन देने के लिए बाहरी बेंचमार्क की व्यवस्था की सलाह दी थी। अबी बैंक प्राइवेट लेडिंग रेट, बेंचमार्क प्राइवेट लेडिंग रेट, बेस रेट और एमसीएलआर पर लोन दिए हैं। बैंचमार्क रेट के ऊपर बैंक कितनी दर से लोन दिए हैं ये बैंक पर निर्भर करेगा। ये दर पूरे लोन के समय एक जैसी रहती है। यदि लोन लेने वाले के क्रेडिट प्रोफाइल में बड़ी गिरावट आती है तो ही लोन की स्थिति में कोई बदलाव होगा। बैंक इस तरह के बैंचमार्क पर दूसरे ग्राहक भी लोन दे सकते हैं।
फिलहाल बैंकों को एक कैटेगरी में एक ही बेंचमार्क रखना होगा। बैंक को एक कैटेगरी में एक से अधिक बैंचमार्क की अनुमति नहीं रहती। मतलब अगर बैंक रेपो रेट पर होम लोन दिया जाता है तो उसे इसी रेट पर लोन देना होगा। वो होम लोन के लिए बॉन्ड यील्ड को आधार नहीं बना सकता है।