प्राइवेट नौकरी कर रहे युवाओं के लिए मोदी सरकार की ओर से खुशखबरी
केंद्र सरकार चुनाव से पहले प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों को राहत देगी। सूत्रों का दावा है कि सरकार इस साल के अंत तक ग्रेच्युटी की समय सीमा को घटाने की तैयारी कर रही है।
केंद्र सरकार चुनाव से पहले प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों को राहत देगी। सूत्रों का दावा है कि सरकार इस साल के अंत तक ग्रेच्युटी की समय सीमा को घटाने की तैयारी कर रही है। अभी किसी भी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी को 5 साल नौकरी करने पर ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है।
अब सरकार की तरफ से इस समय सीमा को घटाकर तीन साल करने की तैयारी है। ऐसा हुआ तो करोड़ों कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा। हालांकि, पहले भी ग्रेच्युटी की लिमिट को कम करने की खबरें आती रही हैं।
ग्रेच्युटी क्या है?
ग्रेच्युटी कर्मचारी की सैलरी का वह भाग है, जो कंपनी या आपका नियोक्ता, यानी एम्प्लॉयर आपकी सालों की सेवाओं के बदले देता है, जिसे आप सेवा पूरी करने के बाद या फिर बीच नौकरी छोड़ने के बाद ले सकते हैं। दरअसल, ग्रेच्युटी वह लाभकारी योजना है, जो रिटायरमेंट लाभों का हिस्सा है, जोकि नियोक्ता द्वारा आपको दिया जाता है।
श्रम मंत्रालय से सलाह मांगी
बता दें कि ट्रेड यूनियन लंबे समय से प्राइवेट सेक्टर में ग्रेच्युटी के लिए सेवा की अवधि को घटाने की मांग कर रहे हैं। ट्रेड यूनियन के अधिकारीयों का कहना है कि प्राइवेट सेक्टर में नौकरी को लेकर अनिश्चतता लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा कर्मचारी भी जल्दी जल्दी नौकरी बदलते रहते हैं।
लेकिन ग्रेच्युटी के लिए 5 साल की नौकरी जरूरी है। ऐसे में 5 साल से पहले नौकरी बदलने वाले कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का नुकसान होता है। लेबर मिनिस्ट्री ने इस बारे में हंडस्ट्री से राय मांगी है कि ग्रेच्युटी की अवधि घटाने से क्या प्रभाव होगा।
30दिन की सैलरी पर तय होगी ग्रेच्युटी
लेबर मिनिस्ट्री ग्रेच्युटी की गणना करने के तरीकों में भी बदलाव करने पर विचार कर रही है। इसके तहत ग्रेच्युटी की गणना 30 दिन की सैलरी पर की जा सकती है। वर्तमान समय में प्राइवेट सेक्टर में कर्मचारी की 15 दिन की सैलरी पर ग्रेच्युटी की गणना की जाती है।