ITR रिटर्न के ई-वर्जन में फिर बदलाव, करदाताओं को हो रही मुश्किल
यहां पर आपको बताते हैं कि इनकम टैक्स रिटर्न भरने का नया ई-वर्जन कैसे परेशानी का सबब बन गया है।
इनकम टैक्स रिटर्न को लेकर एक नई परेशानी का सामना इस समय टैक्सपेयर्स को करना पड़ रहा है। अब इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की कोशिश करने वाले वेतनभोगी करदाताओं को इलेक्ट्रॉनिक वजर्न में कुछ और बदलाव देखने को मिले हैं। जिससे लोगों को रिटर्न फाइल करने में कई दिक्कतें पैदा हो रही हैं।
इन बदलावों की वजह से दोबारा डाटा इंटर करना होता है या आखिरी समय में और जानकारियां जुटानी पड़ती हैं। तो वहीं कुछ मामलों में टैक्सपेयर्स को अपने चार्टेड अकाउंटेंट्स से नया स्पष्टीकरण मांगना पड़ता है।
वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए आईटीआर की आखिरी तारीख 31 जुलाई थी, जिसे 31 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है। सैलरीड क्लास द्वारा उपयोग किए जाने वाले फॉर्म आईटीआर-1 और आईटीआर-2 के इलेक्ट्रॉनिक वर्जन को क्रमश: 1 अगस्त और 9 अगस्त को बदल दिया गया।
लेटेस्ट अपडेट के तहत अन्य स्त्रोतों से आमदनी के तहत टैक्सेबल इनकम के संबंध में अतिरिक्त जानकारियां मांगी जा हरी हैं। टैक्सपेयर्स को बैंक सेविंग अकाउंट से ब्याज, टर्म डिपॉजिट, इनकम टैक्स रिफंड पर ब्याज और दूसरे ब्याज को अलग-अलग दिखाने को कहा जा रहा है।
तो वहीं कॉर्पोरेट एंटिटीज के इस्तेमाल वाले आईटीआर-7 सहित सभी आईटीआर फॉर्म में कई बदलाव किए जा चुके हैं। 5 अप्रैल को जारी नोटिफिकेशन के बाद कुछ मामलों में 4 बार तक बदलाव हो चुके हैं।