प्लास्टिक के रोकथाम पर रेलवे का बड़ा फैसला
यह पर्यावरण पर बुरी तरह असर डाल रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अब कई शहर में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस कारण कई लोग जागरूक भी हो रहे हैं। अपनी लाइफस्टाइल में बदल
प्लास्टिक से हमें बहुत खतरा है। पर्यावरण में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी लगानी पड़ेगी। क्योंकि यह पर्यावरण पर बुरी तरह असर डाल रहा है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अब कई शहर में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस कारण कई लोग जागरूक भी हो रहे हैं। अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव भी कर कर रहे है।
2000 रेलवे स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल नष्ट होंगी
हाल ही में प्लास्टिक कूड़े के खिलाफ लड़ाई में साथ देते हुए भारतीय रेलवे देश भर के 2000 रेलवे स्टेशनों पर प्लास्टिक बोतल नष्ट करने वाली मशीनें स्थापति करेगा। वही हम आपको बता दे कि स्टेशनों की सफाई अभियान से जुड़े रेलवे के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, 'प्लास्टिक और विशेष रूप से प्लास्टिक की बोतलें पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गई हैं तो हम प्लास्टिक संकट से निपटने के लिए जागरूकता फैलाने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं।'
क्रशर मशीन से बोतल खत्म
देशभर के स्टेशनों पर प्रतिदिन पेय पदार्थ और पेयजल की बोतलें बड़ी संख्या में फेंकी जाती हैं। 2009 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिर्पोट के अनुसार, भारतीय रेलवे ट्रैक पर लगभग 6,289 टन प्लास्टिक कूड़ा निकाला जाता है। यात्रियों को प्लास्टिक बोतलें रेलवे ट्रैक या स्टेशन परिसर में फेंकने से रोकने के लिए क्रशर (प्लास्टिक बोतल नष्ट करने की मशीन) स्थापित किए जा रहे हैं।
मशीनें प्लेटफॉर्म और निकासी द्वार पर रखे जायेंगे
वहीं हम आपको बता दे क्रशर मशीनें प्लेटफॉर्म और निकासी द्वार पर स्थापित की जाएंगी जिससे अपनी बोतल फेंकने जा रहे यात्री उसे मशीन में डालकर नष्ट कर सकें। मशीन में डाली गई प्लास्टिक की बोतल के आयतन के अनुसार मशीन स्वत: शुरू होकर बंद हो जाएगी। मशीन के अंदर डाली गई बोतल के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाएंगे। प्लास्टिक के टुकड़े प्लास्टिक निर्माताओं के पास भेज दिए जाएंगे जिससे कूड़ा डालने की जगह (लैंडफिल) में प्लास्टिक प्रदूषण न हो।
ट्रैक पर कूड़े फेंकने पर रोक लगाने की जरूरत
अधिकारी ने कहा, "पहले चरण में 2000 स्टेशनों पर क्रशर मशीनें स्थापित करने के लिए सभी 16 जोन के 70 डिवीजनों को निर्देशित कर दिया गया है." वहीं वर्तमान में प्लास्टिक बोतलें हाथों से नष्ट की जाती हैं।चहीं उन्होंने इस बात से भी अवगत कराया कि रेल यात्रियों या स्टेशन के आस-पास की बस्तियों के निवासियों द्वारा ट्रैक पर कूड़े फेंकने पर रोक लगाने की जरूरत है। रेलवे ने क्रशर को स्थापित करने और उनकी देख-रेख करने के लिए एजेंसियों का चयन करने के लिए परियोजना प्रबंध परामर्श की जिम्मेदारी 'राइट्स' को दी है।