क्या भारत के किशनगंगा प्रोजेक्ट से डूब जाएगी पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था?
5783 करोड़ रुपए में बने 330 मेगावॉट के किशनगंगा पनबिजली परियोजना को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया तो सबसे पहली प्रतिक्रिया पाकिस्तान की तरफ से आई। पाकिस्तान इस प्रोजक्ट से पूरी तरह से तिलमिला गया। पाकिस्तान का आरोप है कि भारत ने बांध बनाकर उसके इलाके में आने वाले पानी को रोकने का काम किया है, जबकि भारत ने ऐसे किसी भी कदम से इंकार किया है। दरअसल किशनगंगा प्रोजेक्ट भारत की रणनीतिक सफलता है। पीएम मोदी ने बांध को राष्ट्र को समर्पित करते हुए कहा कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं। उनका साफ इशारा था, अब पाकिस्तान को इस बात की चिंता सता रही है कि भारत का ये प्रोजेक्ट उसकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर सकता है।
किशनगंगा प्रोजक्ट से पाकिस्तान क्यों तिलमिलाया?
दरअसल पाकिस्तान की 80 प्रतिशत सिंचाई सिर्फ सिंधु नदी के पानी पर निर्भर है और भारत ने अब उस पर किशनगंगा डैम बना लिया है, इससे पाकिस्तान परेशान है। पाकिस्तान को लगता है कि भारत इस डैम के जरिए पाकिस्तान का पानी रोक कर उसकी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को तबाह कर सकता है। हालांकि भारत की तरफ से ऐसे किसी भी विचार को पूरी तरह से नकार दिया गया है। पाकिस्तान ने इस मामले में 4 प्रतिनिधि मंडल दल के साथ विश्वबैंक में अपील की है। आपको बता दें कि सिंधु जल संधि में विश्वबैंक गारंटर है जिसके कारण पाकिस्तान विश्वबैंक की शरण में पहुंचा है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही तबाही की कगार पर खड़ी है। पाकिस्तान कर्ज में डूबा हुआ है और उसकी इकोनॉमी पर चीन ने लगभग पूरा कब्जा कर लिया है। आइए देखते हैं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बर्बाद होने के पीछे कौन-कौन से कारण हैं और किन क्षेत्रों में पाकिस्तान भारत से पीछे है।
फिसड्डी अर्थव्यवस्था बना पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान में विवाद 1947 से ही शुरु हो गया था। फिर भी भारत ने पाकिस्तान की तरफ ध्यान देने की बजाय अपनी जरूरतों को समझा और अपने पैरों पर खड़ा होने में जुट गया। जिसका नतीजा ये हुआ कि भारत आज दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बन चुका है और हर तरह की मैन्युफैक्चरिंग में महारथ हासिल कर रहा है। वहीं पाकिस्तान कर्ज में डूबा हुआ है, उसके पास इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, विदेशी निवेश नदारद है और विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं है।
कर्ज में डूबी है पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान अपनी पूरी कमाई का 44 फीसदी कर्ज चुकाने में देता है। ये राशि सिर्फ कर्ज की किश्त चुकाने में ही खर्च हो जाती है। सरकारी बजट में रक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च किया जाता है जिसके बाद बाकी चीजों के लिए पर्याप्त बजट नहीं बचता है। एक आंकड़े के मुताबिक पाकिस्तान पर मौजूदा वक्त में 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है जो कि भारतीय रुपयों के हिसाब से 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपए के आस-पास बैठता है। इस बात की ज्यादा आशंका है पाकिस्तान शायद ही ये कर्ज चुका पाए।
पाकिस्तान के बजट का 80 प्रतिशत हिस्सा कर्ज में डूबा
इसको ऐसे समझिए कि, पाकिस्तान का कुल बजट 8 लाख 43 हजार करोड़ रुपए है और उसे साढ़े छह लाख करोड़ रुपए सिर्फ कर्ज की किश्त चुकाने के लिए देना होता है। इस लिहाज से पाकिस्तान के पास कर्ज चुकाने के बाद कुछ बचता नहीं है। ये आंकड़ा तब बनेगा जब पाकिस्तान कर्ज चुकाएगा, अगर वह कर्ज का कुछ हिस्सा चुकाता है या फिर कर्ज नहीं चुका पाता है तब ये इसी कर्ज और भी ब्याज बढ़ जाता है। पाकिस्तान की 20 करोड़ से ज्यादा की आबादी पाकिस्तानी सरकार की इस आतंकपसंद नीति का खामियाजा भुगत रही है और मुफलिसी में जिंदगी गुजार रही है।
लगातार बढ़ रहा है कर्ज
वहीं जीडीपी के लिहाज से देखें तो पाकिस्तान पर कर्ज 160 अरब डॉलर से अधिक है और पाकिस्तान की पूरी अर्थ व्यवस्था महज 232 अरब डॉलर की है। 2008-09 के बाद से पाकिस्तान पर कर्ज बढ़ता ही जा रहा है। हालत है ये कि पाकिस्तान का 44 फीसदी पैसा सिर्फ कर्ज की किश्त चुकाने में चला जाता है।
डूबने की कगार पर पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था
विश्लेषकों की राय में पाकिस्तान इस वक्त बेहद खराब आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है। पाकिस्तान की हालत ग्रीस और वेनेजुएला के जैसी हो गई है। पाकिस्तान अकेले आईएमएफ से 7 बिलियन डॉलर का कर्ज ले चुका है और उसकी मौजूदा हालत ऐसी नहीं है कि उसे कोई और कर्ज दे। IMF ने कई बार पाकिस्तान को उसकी आर्थिक नीतियों में बदलाव लाने के लिए कहा लेकिन आंतक को पालने वाले पाकिस्तान ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।