65 लाख टैक्स चोर सरकार के निशाने में, कहीं आपका नाम तो नहीं
अगर आप टैक्स भरने से बचते हैं या टैक्स चोरी करने का कोई भी तरीका अपनाते हैं तो सरकार की निगाहें आप पर भी हो सकती हैं। इस समय सरकार की नजरें ऐसे 65 लाख लोगों पर है जो कि टैक्स चोरी करते हैं।
अगर आप टैक्स भरने से बचते हैं या टैक्स चोरी करने का कोई भी तरीका अपनाते हैं तो सरकार की निगाहें आप पर भी हो सकती हैं। इस समय सरकार की नजरें ऐसे 65 लाख लोगों पर है जो कि टैक्स चोरी करते हैं खासकर उन लोगों पर जिन्होंने पिछले साल रिटर्न फाइल नहीं किया है। आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान सरकार को डायरेक्ट टैक्स के रुप में 1.5 लाख करोड़ रुपए अतिरिक्त टैक्स मिले हैं। नवभारत टाइम्स न्यूज पोर्टल की रिर्पोट के अनुसार साथ ही टैक्स फाइल करने वाले नए लोगों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। टैक्स पेयर की संख्या को और बढ़ाने की कोशिश में सरकार टैक्स चोरों पर अपनी निगाहें लगाए हुए है।
टैक्स रिमाइंडर से बढ़ी टैक्सपेयर की संख्या
टैक्स भरने के मामले में सरकार का मानना है कि 2016 में नोटबंदी के नतीजे में टैक्स फाइल करने वालों की संख्या बढ़ी है। लोगों को टैक्स से संबंधित रिमांइडर और एसएमएस प्रक्रिया भी टैक्सपेयर बेस को बढ़ाने में मददगार साबित हुई है। इनकम टैक्स अधिकारियों का यह कहना है कि करीब 1.75 करोड़ संभावित करदाताओं को टेक्स्ट मैसेज और ईमेल्स भेजे गए थे जिनमें से 1.07 करोड़ ने स्वेच्छा से अब तक रिटर्न फाइल किया है।
एनएमएस के माध्यम से पकड़ा जाएगा टैक्स चोरों को
जिन लोगों ने टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है उन्हें NMS (Non-Filers Management System) के माध्यम से पकड़ने की कोशिश की जाएगी। NMS के द्वारा आयकर विभाग को टैक्सपेयर बेस बढ़ाने में पिछले कुछ सालों में सफलता मिली है। इसकी मदद से खासतौर पर उप लोगों को टारगेट किया जाएगा जिन लोगों ने पुराने 500 या 1,000 रुपए के 10 लाख रुपए या ज्यादा मूल्य के पैसे जमा किए हैं लेकिन अपना रिटर्न फाइल नहीं किया है। इस श्रेणी में 3 लाख से ज्यादा लोग हैं जिनमें से 2.1 लाख ने अपना रिटर्न फाइल किया है और सेल्फ असेसमेंट टैक्स के रुप में लगभग 6,5000 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।
एनएमएस (NMS)
NMS के तहत उन लोगों का पता लगाने के लिए कई डाटा सोर्सेज का सहारा लिया जाता है जिनकी आमदनी टैक्स योग्य है लेकिन टैक्स नहीं देते हैं। इसमें खासतौर पर उन लोगों पर नजर रखी जाती है जो लोग हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन करते हैं लेकिन रिटर्न फाइल नहीं करते हैं या फिर अपनी पूरी कमाई का खुलासा नहीं करते हैं।
टैक्सपेयर बेस
टैक्सपेयर बेस में ऐसे लोग तो शामिल ही होते हैं जो सीधे रिटर्न करते हैं। इसके अलावा टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS), टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS), एडवांस टैक्स पेमेंट्स, सेल्फ असेसमेंट टैक्स और पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान डिविडेंट डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स देने वाले लोग भी शामिल हैं।