इन 5 कारणों के चलते खाली हुए एटीएम!
देश भर एटीएम में जारी नगदी संकट को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगई जा रही हैं। वहीं आरबीआई देश में पर्याप्त नगदी होने की बात कह रही है। इस बीच अगर कुछ पुरानी खबरों पर गौर करें तो ऐसा लगता है कि सरकार की 'मेक इन इंडिया' स्कीम से नगदी का संकट आया है। इसके अलावा अन्य कारण भी हैं जो इस नगदी संकट के जिम्मेदार हो सकते हैं।
200 रुपए के नोट
सरकार और आरबीआई का मानना है कि देश भर के एटीएम में 200 रुपए के नोट के लिए नई ट्रे लगाने में हुई देरी के कारण एटीएम में नगदी का संकट आया है। आपको बता दें कि 200 रुपए के नोट पहली बार देश में मुद्रित हुए थे। इन्हें एटीएम के जरिए लोगों तक पहुंचान के लिए एटीएम को दोबारा री-कैलिबरेट करना पड़ा जिसके बाद ही लोगों को 200 रुपए के नोट एटीएम के जरिए मिले हैं। अब आरबीआई इस बात पर जोर दे रही है कि 200 रुपए के नोटों के लिए 'ट्रे' लगाने में हुई देरी के कारण ही कुछ इलाकों में नगदी का संकट आया है।
क्या वाकई में है कैश की कमी?
ये एक ऐसी बात है जो आरबीआई के अधिकारी अपने मुंह से नहीं कहना चाहते हैं। यहां हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आरबीआई को इस बारे में मार्च में ही जानकारी मिल गई थी। आंध्रप्रदेश की सरकार ने सबसे पहले आरबीआई, सरकार और स्टेट बैंक को इस बारे में पत्र लिखकर आगाह किया था साथ ही नगदी संकट को लेकर भी अपनी चिंता जाहिर की थी कि प्रदेश के एटीएम में नगदी का संकट आ सकता है, फिर भी आरबीआई ने इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
कैश छापना किया बंद?
तमाम समाचार पोर्टल्स और एजेंसियों ने इस बात की तरफ भी इशारा किया है सरकार पिछले वर्ष नवंबर से ही कैश की छपाई बंद कर चुकी थी। इसमें 500 रुपए के नोटों की छपाई शामिल थी जिसे नवंबर से बंद कर दिया गया था। इस बारे में नासिक स्थित करेंसी नोट प्रेस ने बताया कि प्रेस ने नोटों की छपाई का अपना लक्ष्य पूरा कर लिया था जिसके कारण से ये छपाई बंद कर दी गई थी।
100 रुपए के नोटों की छपाई हुई बंद
अगर आपने ध्यान दिया हो तो शायद आपने ये देखा होगा कि बाजार में 2000, 500, 200, 50 और 10 रुपए की मुद्रा के नए नोट आ गए हैं, जबकि 20 और 100 रुपए की मुद्रा अभी पुरानी है। करंसी नोट प्रेस से इस बारे में भी खबरें निकल कर आ रही हैं कि इन नोटों (100 और 20) के लिए नए डिजाइन पर काम चल रहा है जिसके कारण पुराने 100 रुपए के नोटों की छपाई को बंद कर दिया गया है। वहीं नासिक करंसी नोट प्रेस में सिर्फ 10 और 50 रुपए के नोटों की छपाई चल रही है, जबकि देवास स्थित एक अन्य करंसी नोट प्रेस में 200 रुपए के नोटों की छपाई का काम जारी है।
मेक इन इंडिया के कारण हुई कैश की किल्लत!
अब आते हैं एक और मुद्दे की तरफ, मेक इन इंडिया, सुनने में थोड़ अटपटा जरूर है पर ये वाकई में गौर करने लायक बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने RBI के 80 साल पूरे होने पर कहा था कि, 'हम RBI के 80 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, क्या हम भारतीय करेंसी छापने के लिए स्वदेशी कागज और स्याही का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, ये हास्यास्पद है कि स्वदेशी की लड़ाई लड़ने वाले महात्मा गांधी की तस्वीर आयातित कागज पर छपती है।' पीएम के इस बयान के बाद ऐसी खबरें भी आई कि देश में ही कागजी मुद्रा के लिए पेपर बनाने का काम शुरु कर दिया गया है। उस दौरान आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एसएस मुंदरा ने कहा था कि, फैक्ट्री का कंस्ट्रक्शन अभी एडवांस स्टेज पर है और हमें पूरा विश्वास है कि अगले कुछ महीनों में यह तैयार हो जाएगी। उन्होंने कहा कि करेंसी नोट के लिए कागज और स्याही को बनाने का काम भारत में ही होना चाहिए।
अब हो सकता है कि देश में कागजी मुद्रा तैयार करने के लिए चलाई जा रही मुहिम के लिए जो करंसी पेपर बाहर से आयात किया जाता था उसे कम दिया गया हो। जिसके कारण ऐसी समस्या आई हो। ऐसा भी हो सकता है कि देश में उस क्वालिटी का कंरेसी पेपर ना बन पाया हो जैसा पेपर बाहर से आयात किया जाता है, इसलिए भी कैश छापने में देरी हुई हो।